संयुक्त राष्ट्र में महाराजा हरि सिंह के पोते ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले की सराहना

punjabkesari.in Sunday, Mar 24, 2024 - 01:53 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क. संयुक्त राष्ट्र में महाराजा हरि सिंह के पोते और भाजपा के वरिष्ठ नेता एमके अजातशत्रु सिंह ने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के साहसिक फैसले की सराहना की। अजातशत्रु ने 1947 में भारत के साथ क्षेत्र के विलय की संधि पर हस्ताक्षर किए थे और पाकिस्तान के कब्जे में रहने वाले लोगों की दुर्दशा के लिए अपनी गहरी चिंता व्यक्त की और उन्हें सुधारने के लिए संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की मांग की।

PunjabKesari
संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा- "2019 में संवैधानिक सुधारों के बाद से क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट आई है। 2004 से 2014 तक जम्मू-कश्मीर में कुल 7,217 आतंकवादी घटनाएं हुईं। हालांकि सुधारों की बदौलत आतंकी घटनाओं में 70 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। यह सुधार क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने में सरकार के कार्यों की प्रभावशीलता को रेखांकित करता है। इसके अलावा सामाजिक-आर्थिक मोर्चे पर जम्मू-कश्मीर में गरीबी का 2005-2006 में 40.45 प्रतिशत से घटकर 2022-2023 में मात्र 2.81 प्रतिशत होना विकास निधि के इष्टतम उपयोग का एक प्रमाण है। हालिया अंतरिम बजट 2024 में जम्मू-कश्मीर के लिए 14 अरब अमेरिकी डॉलर का पर्याप्त आवंटन किया गया, जो क्षेत्र की समृद्धि के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।"

PunjabKesari
अजातशत्रु ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में जम्मू और कश्मीर ने बुनियादी ढांचे के विकास में एक उल्लेखनीय क्रांति देखी है, जिसमें नए मेडिकल कॉलेजों, सुरंगों, रेलवे लाइनों और नागरिक बुनियादी ढांचे की स्थापना शामिल है। अविभाजित जम्मू-कश्मीर के राजा करण सिंह के बेटे ने कहा- "ये प्रगति क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए हासिल की गई है।"

PunjabKesari
पूर्व मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र से पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के लोगों की स्थिति को सुधारने के लिए सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनकी शिकायतों का समाधान करें और यह सुनिश्चित करे कि उनके मौलिक अधिकारों को बरकरार रखा जाए। हालांकि, यह स्वीकार करना आवश्यक है कि जम्मू-कश्मीर के सभी हिस्सों को समान रूप से लाभ नहीं हुआ  है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Parminder Kaur

Recommended News

Related News