''दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो जाता, तो हमारी आंखों में आंसू नहीं होते''

punjabkesari.in Tuesday, Dec 06, 2016 - 12:03 PM (IST)

मुंबईः मुंबई में नौसैनिक गोदी से बाहर निकलते वक्त भारतीय नौसेना का युद्ध पोत आईएनएस बेतवा एक ओर झुक गया, जिससे दो नौसेना कर्मियों की मौत हो गई जबकि 15 अन्य घायल हो गए। मृतकों में मध्य प्रदेश के सागर के आशुतोष पांडे भी शामिल हैं। हादसे के करीब 6 घंटे बाद आशुतोष के परिजनों को उसकी मौत की खबर मिली। परिजनों ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में नौसेना पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि, वो दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो जाता तो शायद हमारी आंखों में आंसू नहीं होते।

देशसेवा का सपना
बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त आशुतोष युद्धपोत में अपने कमरे में अकेला था। माना जा रहा है कि जैसे ही युद्धपोत फिसला तो इतनी तेजी से कमरे में पानी भरना शुरू हुआ कि उसे बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। आशुतोष के पिता अनिरुद्ध पांडे का डेढ़ साल पहले निधन हुआ था। इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला होने के बाद बतौर सेलर आशुतोष का चयन भारतीय नौसेना में हुआ। अनिरुद्ध के पिता पुलिस में थे, इसलिए उसका भी अपने पिता की तरह देशसेवा का सपना था।

डाकयार्ड में हुआ हादसा
नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने कहा कि पोत को मरम्मत के लिए गोदी में लाया गया था और वापस जल में जाते वक्त पूरा पोत एक तरफ झुक गया, जिससे पोत का मुख्य खंभा टूट गया। बता दें कि इस पोत का नाम बेतवा नदी के नाम पर रखा गया है और यह 12 साल से अधिक समय से सेवा में है। 3850 टन भार वाले इस युद्धपोत काे 2004 में नौसेना में शामिल किया गया था। यह युद्धपोत 30 समुद्री मील की गति के साथ आगे बढ़ने में सक्षम है। यह लंबी दूरी तक जमीन से जमीन पर मिसाइल गिराने और मिसाइल रोधी रक्षा प्रणालियों से भी लैस है।


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