Toll Tax पर सरकार का संसद में बड़ा खुलासा, हर दिन कितनी कमाई... दिया पाई-पाई का हिसाब
punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 08:32 PM (IST)

नई दिल्ली: देश में जब भी सड़कें और टोल की बात होती है, तो एक सवाल अक्सर उठता है---- क्या टोल वसूली कभी खत्म होगी? और क्या यह सिर्फ सड़क की लागत चुकाने के लिए होता है? संसद में सरकार ने अब इन सवालों पर विस्तार से जवाब दिया है। एक सांसद के लिखित प्रश्न के जवाब में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने टोल वसूली, टोल प्लाजा की संख्या, आमदनी, और नीतियों के बारे में पूरी जानकारी दी।
देश में कितने टोल प्लाजा और कितनी कमाई?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून 2025 तक भारत में कुल 1,087 टोल प्लाजा चालू हैं। इनसे हर दिन औसतन 168.24 करोड़ रुपये की आय हो रही है। अगर पूरे वित्तीय वर्ष 2024-25 की बात करें तो कुल टोल वसूली 61,408.15 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
इसमें दो वर्ग हैं:
सरकारी निधि (Public Funded) वाले टोल प्लाजा:
कुल आय – ₹28,823.74 करोड़
निजी ऑपरेटरों द्वारा संचालित (PPP मॉडल) टोल प्लाजा:
कुल आय – ₹32,584.41 करोड़
यह आंकड़े बताते हैं कि टोल वसूली अब केवल सड़क निर्माण की लागत वसूली से कहीं आगे बढ़ चुकी है — यह सिस्टम की स्थायी फंडिंग बन गई है।
क्या टोल वसूली कभी बंद होगी? सरकार का सीधा जवाब – नहीं!
सरकार ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल फ्री करने की कोई योजना नहीं है। टोल से मिलने वाली राशि सीधे केंद्रीय समेकित निधि (Consolidated Fund of India) में जमा होती है। यहीं से नई सड़क परियोजनाओं, मेंटेनेंस, पुलों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए खर्च किया जाता है। सरकार ने कहा कि टोल सिर्फ "लागत वसूली" नहीं, बल्कि "यूज़र चार्ज" (User Fee) है, यानी जो सड़क इस्तेमाल करता है, वही उसके रखरखाव में भागीदार होता है।
बुढ़नपुर–वाराणसी मार्ग: एक केस स्टडी
सांसद दरोगा प्रसाद सरोज द्वारा पूछे गए सवाल में बुढ़नपुर से वाराणसी तक के मार्ग की जानकारी भी सामने आई। सरकार ने बताया कि यह सड़क दो चरणों में बनाई गई है:
-बुढ़नपुर से गोंसाई की बाजार बायपास तक
-गोंसाई की बाजार बायपास से वाराणसी तक
इस पूरी परियोजना की कुल लागत ₹5,746.97 करोड़ रही है। लेकिन अब तक इससे केवल ₹73.47 करोड़ की टोल वसूली हुई है। यानी, लागत की भरपाई अभी बहुत दूर है, और इस पर लंबे समय तक टोल वसूली जारी रहेगी।
BOT और Public Funded मॉडल में क्या अंतर है?
सरकार ने बताया कि जब सड़कें BOT (Build-Operate-Transfer) मॉडल पर बनती हैं, तो एक तय अवधि तक निजी कंपनी टोल वसूलती है। इसके बाद टोल का नियंत्रण सरकार के पास आ जाता है। लेकिन जो सड़कें सरकारी फंड से बनी होती हैं, उन पर टोल वसूली लंबे समय तक चलती है और हर वर्ष टोल दरों में संशोधन भी किया जाता है।
सड़क निर्माण की लागत कैसे तय होती है?
किसी भी सड़क की लागत केवल दूरी या चौड़ाई से तय नहीं होती। सरकार ने बताया कि इसमें कई कारक शामिल होते हैं:
-भू-भाग की प्रकृति (मैदानी, पहाड़ी, रेतीली आदि)
-मिट्टी की गुणवत्ता
-पुल और सुरंग की जरूरत
-ट्रैफिक का अनुमान
-निर्माण सामग्री की लागत