हिमालय के आसमान में दिखी थी चमत्कारी लाल रोशनी, अब 3 साल बाद वैज्ञानिकों ने खोला राज
punjabkesari.in Saturday, Jul 05, 2025 - 12:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क : साल 2022 में हिमालय के आसमान में एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिला था। 19 मई 2022 को दो चीनी Astrophotographers, एंजेल एन और शुचांग डोंग ने दक्षिणी तिब्बती पठार के ऊपर पवित्र पुमोयोंगचुओ झील के पास आकाश में 105 चमकते लाल खंभों जैसी रोशनियों को कैमरे में कैद किया था। इस रहस्य ने उस वक्त सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी थी। अब तीन साल की वैज्ञानिक रिसर्च के बाद इसका जवाब मिल गया है।
क्या थीं ये लाल रोशनियां?
वैज्ञानिकों ने बताया कि यह चमकती हुई रोशनियां दरअसल एक विशेष प्रकार की बिजली की घटना थीं, जिन्हें 'Red Sprites' कहा जाता है। रेड स्प्राइट्स सामान्य बिजली से अलग होती हैं और ये बादलों के काफी ऊपर यानी 65 से 90 किलोमीटर की ऊंचाई पर दिखाई देती हैं। ये कुछ ही पलों के लिए नजर आती हैं और आमतौर पर लाल रंग की होती हैं, जिनका आकार तंबू जैसा या खंभों की तरह दिखता है। कभी-कभी इनके ऊपरी हिस्से में हरी रंग की रेखाएं भी दिखाई देती हैं। यह घटना इतनी दुर्लभ है कि अब तक केवल कुछ ही जगहों पर देखी गई है।
क्या और भी कुछ रिकॉर्ड हुआ?
दोनों फोटोग्राफरों ने 105 रेड स्प्राइट्स के अलावा, 6 सेकेंडरी जेट्स और 4 'घोस्ट स्प्राइट्स' भी रिकॉर्ड किए। वैज्ञानिकों का कहना है कि एशिया में पहली बार घोस्ट स्प्राइट्स देखे गए हैं, जिससे यह घटना और भी खास हो जाती है।
A spectacular display of more than one hundred "red sprite" lightning events was captured above the Himalayas in Tibet. These rare, upward-shooting electrical discharges, occurring high above thunderstorms, were observed near Pumoyongcuo Lake on the southern Tibetan Plateau. pic.twitter.com/N4HUNZdP6W
— Paul White Gold Eagle (@PaulGoldEagle) June 28, 2025
ये स्प्राइट्स बनीं कैसे?
वैज्ञानिकों की रिसर्च के मुताबिक, ये स्प्राइट्स बहुत ही शक्तिशाली बिजली गिरने के कारण बनीं, जो बादलों के ऊपर से होकर जमीन तक पहुंची। यह बिजली एक बड़े तूफानी सिस्टम से उत्पन्न हुई, जिसे वैज्ञानिक 'Mesoscale Convective Complex' (MCC) कहते हैं। यह तूफानी प्रणाली गंगा के मैदानी इलाकों से लेकर तिब्बती पठार तक लगभग 2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली थी। इस तूफान से जो बिजली उत्पन्न हुई, वह पॉज़ीटिव चार्ज वाली थी और उसका पीक करंट 50 Kiloampere से अधिक था। इस तरह की बिजली ज्यादातर अमेरिका के ग्रेट प्लेन्स और यूरोप के तटीय इलाकों में होने वाले बड़े तूफानों में देखी जाती है।
वैज्ञानिकों ने इसका पता कैसे लगाया?
यह रहस्य जानना आसान नहीं था। वैज्ञानिकों ने करीब तीन साल तक गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने वीडियो फ्रेम्स, सैटेलाइट की मूवमेंट और आसमान में तारों की स्थिति की मदद से इन रोशनियों के पीछे की असली बिजली की घटनाओं की पहचान की। इस प्रक्रिया से लगभग 70 प्रतिशत स्प्राइट्स को उनकी असली बिजली गिरने की घटनाओं से जोड़ा जा सका। यानी यह साफ हो गया कि इन चमकती लकीरों की उत्पत्ति किस स्थान और बिजली गिरने की किस घटना से हुई।
क्या है इसका महत्व?
यह खोज वैज्ञानिकों के लिए काफी अहम मानी जा रही है। इससे उन्हें पृथ्वी और वायुमंडल के बीच होने वाले ऊर्जा के आदान-प्रदान को समझने में मदद मिलेगी। इस घटना ने बताया कि हमारी धरती के ऊपर भी ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनके बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है।