चुनावी सरर्गिमयों से अछूता है गुजरात का एक गांव

punjabkesari.in Wednesday, Dec 13, 2017 - 04:09 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तर गुजरात में वडगाम निर्वाचन क्षेत्र में सुदूरवर्ती एक गांव की भूलभुलैया गलियों में लोग धूप सेंक रहे हैं, महिलाएं घर का काम निपटा रही हैं और बच्चे खेलने में मग्न हैं, यहां चुनाव की सरर्गिमयां दिखाई ही नहीं देती है। एक युवक अखबार पढ़ रहा है और उसके साथ बैठे दूसरे लोग भी अखबार में झांक कर देश दुनिया की खबर लेना चाहते हैं।  गुजराती भाषा के एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र का शीर्षक है कि ‘‘मोदी नीची जाति के हैं : मणि शंकर अय्यर’’ लेकिन चुनावी झमेलों से दूर छापी गांव के लोगों को इससे कुछ खास लेना देना नहीं है अगर उन्हें किसी चीज से मतलब है तो वो है रोजी रोटी का जुगाड़। 

यह गांव उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिले में पड़ता है। इस निर्वाचन क्षेत्र के लोग दूसरे और अंतिम चरण के विधानसभा चुनाव में कल वोट डालेंगे। कुछ युवक टीवी चैनलों में छाई रहने वाली इस टिप्पणी के बारे में सुनकर ठहाके लगाते हैं। भावेश ने कहा कि काश इतना ही समय हमारे जैसे पढ़े-लिखे लोगों के लिए नौकरियों की कमी पर चर्चा में लगाया जाता। दलित युवक भावेश सरकारी स्कूल के एक शिक्षक का बेटा है। वह बीएड के साथ-साथ एमए कर चुका है। उन्होंने कहा कि मैंने 12वीं कक्षा में 80 फीसदी अंक हासिल किए। इसके बाद मैंने प्राइमरी टीचर्स र्सिटफिकेट (पीटीसी) कोर्स किया लेकिन फिर सरकार ने टीईटी को अनिवार्य कर दिया तथा मेरे पीटीसी कोर्स की कोई अहमियत नहीं रह गई। मैंने तीन बार टीईटी परीक्षा दी लेकिन पास नहीं कर पाया। 

भावेश के दोस्त कौशिक रावत ने उसका समर्थन किया। युवकों का कहना है कि यह गांव बहुर्चिचत गुजरात के विकास मॉडल से बिल्कुल अछूता है। छापी गांव के युवक रोजगार को लेकर बहुत चिंतित हैं। यह पहली बार नहीं है जब चुनाव को लेकर उन्हें कोई उत्सुकता नहीं है। पसंदीदा उम्मीदवार के बारे में दलितों का कहना है कि वह कांग्रेस को चुनेंगे जबकि ठाकुरों का कहना है कि वह भाजपा का समर्थन करते है। इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस सर्मिथत निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवानी और भाजपा के विजय चक्रवर्ती के बीच मुकाबला है। 


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