Green Crackers: अब फटेंगे इको-फ्रेंडली पटाखे, जानें कैसे बनते हैं ग्रीन क्रैकर्स और क्यों होते हैं आम पटाखों से महंगे?

punjabkesari.in Wednesday, Oct 15, 2025 - 03:28 PM (IST)

नेशनल डेस्क। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में हर साल की तरह इस बार भी दिवाली के दौरान पटाखों को लेकर कड़े नियम लागू किए गए हैं। पटाखों के अत्यधिक इस्तेमाल से पर्यावरण को होने वाले गंभीर नुकसान को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर लगाम लगाना है जो सर्दियों की शुरुआत के साथ ही और भी खतरनाक हो जाता है।

विषय का केंद्र: प्रदूषण का बढ़ता स्तर

दिवाली के त्योहार पर जब लाखों लोग एक साथ पटाखे जलाते हैं तो हवा की गुणवत्ता तेजी से खराब होती है। पटाखों से निकलने वाला धुआं और हानिकारक गैसें कई दिनों तक आसमान में बनी रहती हैं। यह स्थिति खासकर ठंड के मौसम में अधिक गंभीर हो जाती है क्योंकि इस दौरान कोहरा (Fog) और धुंध (Smog) भी होती है जिससे प्रदूषण के कण हवा में नीचे ही फंसे रह जाते हैं।

सामान्य पटाखों में क्या होता है?

सामान्य पटाखों को बनाने में कई तरह के खतरनाक रसायन इस्तेमाल होते हैं। ये मिश्रण होते हैं:

सल्फर (Sulphur)

ऑक्सीडाइजर (Oxidizers)

रिड्यूसिंग एजेंट (Reducing Agents)

स्टेबलाइजर (Stabilizers)

रंग (Colours)

इनमें एंटीमोनी सल्फाइड, बेरियम नाइट्रेट, लिथियम, तांबा, एल्यूमिनियम और स्ट्रांशियम जैसे जहरीले तत्व होते हैं। जब ये रसायन जलते हैं तो इनसे जहरीली गैसें निकलती हैं जो हवा को प्रदूषित करती हैं और आसमान को काला कर देती हैं।

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स्वास्थ्य पर खतरा

तेज़ आवाज़ वाले और अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ये पटाखे न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं बल्कि इंसानों और पशु-पक्षियों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं। ये सीधे तौर पर दिल के मरीजों (Heart Patients) और फेफड़ों (Lungs) की समस्याओं वाले लोगों की सेहत पर बुरा असर डालते हैं।

ग्रीन पटाखे: एक सुरक्षित विकल्प

प्रदूषण की इस चुनौती से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने इस बार 'ग्रीन पटाखों' (Green Crackers) को जलाने की मंजूरी दी है।

ग्रीन पटाखों की खासियतें:

कम हानिकारक रसायन: इनका निर्माण ऐसे रसायनों से होता है जो सामान्य पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं।

हानिकारक तत्वों से मुक्ति: इनमें एल्युमिनियम, बैरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन जैसे अत्यधिक हानिकारक तत्व नहीं होते हैं।

कम आवाज़ और धुआं: ये आकार में छोटे होते हैं और इनसे निकलने वाली आवाज़ भी काफी हल्की होती है जिससे ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) भी कम होता है।

पर्यावरण-हितैषी: ये पर्यावरण के लिए सुरक्षित और इको-फ्रेंडली (Eco-Friendly) विकल्प माने जाते हैं।

हालांकि ग्रीन पटाखे आम पटाखों से थोड़े महंगे हो सकते हैं लेकिन पर्यावरण की सुरक्षा और अपनी सेहत के लिए इन्हें एक ज़िम्मेदार विकल्प माना जा रहा है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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