जानबूझकर जल बोर्ड में वित्तीय संकट पैदा कर दिल्ली को नर्क में बदलने की हुई साजिश : आतिशी
punjabkesari.in Friday, Aug 23, 2024 - 10:32 PM (IST)
नेशनल डेस्क : दिल्ली में सीवर संकट ने अब गंभीर रूप धारण कर लिया है। जल मंत्री आतिशी ने इस स्थिति को लेकर मुख्य सचिव को कड़ी फटकार लगाई है। उनका आरोप है कि जानबूझकर दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय संकट पैदा किया गया है, जिसकी वजह से राजधानी के लोग नारकीय स्थिति में जीवन जीने को मजबूर हो गए हैं।
दिल्ली की सड़कों पर सीवर का पानी बह रहा है, गलियों में चलना दूभर हो गया है। जल मंत्री आतिशी ने खुद उत्तम नगर के प्रभावित इलाकों का दौरा किया और देखा कि कैसे सीवर का पानी लोगों के घरों में घुस रहा है। स्थानीय निवासी शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें हर दिन इस गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
आतिशी ने निरीक्षण के दौरान पाया कि कई गलियों में सीवर का पानी बह रहा है, जिससे न केवल लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, बल्कि गलियां भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो रही हैं। लोग नारकीय स्थिति में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। जल मंत्री ने बताया कि इस सीवर ओवरफ्लो से गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो सकता है, और इस पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।
"सीवर ओवरफ्लो से कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं। दिल्ली सरकार ने जल बोर्ड को 7195 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है, लेकिन अब तक सिर्फ 400 करोड़ रुपए ही जारी किए गए हैं। जानबूझकर जल बोर्ड में वित्तीय संकट पैदा कर दिल्ली के लोगों की ज़िंदगी को नर्क में डाला जा रहा है।" दिल्ली जल बोर्ड में फंड की कमी और कर्मचारियों की कमी के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। स्थानीय विधायक ने बताया कि पिछले साल तक इलाके में 73 कांट्रैक्ट लेबर तैनात थे, लेकिन इस साल केवल 18 लेबर ही बचे हैं। सीवर सफाई के लिए 14 मशीनें थीं, जो अब घटकर सिर्फ 7 रह गई हैं।
"जल मंत्री ने मुख्य सचिव को साफ निर्देश दिए हैं कि अगले 48 घंटों में जल बोर्ड को आवंटित बजट से पर्याप्त धनराशि जारी की जाए, ताकि सीवर ओवरफ्लो की समस्या को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके।" आतिशी ने यह भी कहा है कि इस संकट के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि पूरे दिल्ली में पर्याप्त मैनपावर और मशीनरी तैनात की जाए, ताकि लोगों को इस गंभीर संकट का सामना न करना पड़े। अब देखना यह होगा कि मुख्य सचिव और संबंधित विभाग इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेते हैं, और दिल्ली के लोगों को इस नारकीय स्थिति से कब तक राहत मिलती है।