हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी, जनजाति की लिस्ट को लेकर पूछा- कैसे दे सकते हैं आदेश?

punjabkesari.in Monday, May 08, 2023 - 04:53 PM (IST)

नेशनल डेस्कः मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई है कि हाईकोर्ट किसी समुदाय को जनजाति की लिस्ट में शामिल करने का आदेश कैसे दे सकता है? अब इस मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और मणिपुर सरकार को पूर्वोत्तर के इस राज्य में जातीय हिंसा से प्रभावित हुए लोगों की सुरक्षा बढ़ाने, राहत प्रदान करने तथा उनके पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा। अदालत का यह निर्देश इन दलीलों पर संज्ञान लेने के बाद आया कि बीते दो दिनों में वहां कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिंसा के बाद की स्थिति को मानवीय समस्या करार देते हुए कहा कि राहत शिविरों में उपयुक्त इंतजाम किये जाएं, वहां शरण लिए लोगों को भोजन, राशन तथा चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। केंद्र और राज्य की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हिंसा से निपटने के लिए उठाए गए कदमों से पीठ को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि सेना और असम राइफल्स की टुकड़ियों के अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 52 कंपनियां हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात की गई हैं।

पीठ ने निर्देश दिया कि विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक प्रयास किये जाएं। पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं। न्यायालय ने उपासना स्थलों की सुरक्षों के लिए उपयुक्त कदम उठाने का भी आदेश दिया। मणिपुर के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक समुदाय मेइती के बीच हिंसक झड़पों में अब तक 50 से अधिक लोग मारे गये हैं।

मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की उसकी मांग को लेकर यह हिंसा भड़की थी। हिंसा के कारण 23,000 लोगों ने सैन्य छावनियों और राहत शिविरों में शरण ले रखी है। शीर्ष न्यायालय ने मणिपुर हिंसा से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई 17 मई के लिए निर्धारित कर दिया और केंद्र तथा राज्य को तब तक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। 


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Yaspal

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