'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' का कहर: इन राज्यों में लगातार बढ़ रही है मौतें का खतरा, जानें क्या है कारण और कैसे करें बचाव
punjabkesari.in Friday, Sep 19, 2025 - 05:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केरल में एक दुर्लभ और जानलेवा संक्रमण, जिसे ब्रेन-ईटिंग अमीबा कहा जाता है, ने स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में इस संक्रमण से 19 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में इसके 500 से भी कम मामले सामने आए हैं। इन 500 मामलों में से अकेले 120 मामले केरल से हैं।
क्या है यह अमीबा और यह कैसे हमला करता है?
डॉक्टरों के अनुसार, यह अमीबा गंदे और गर्म मीठे पानी में पाया जाता है, जैसे कि तालाब, झील या स्विमिंग पूल। यह पीने के पानी से शरीर में नहीं जाता, बल्कि नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है और सीधे दिमाग तक पहुंचता है। दिमाग में पहुंचकर यह एक गंभीर संक्रमण पैदा करता है, जिसे प्राइमरी अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस (PAM) कहते हैं।
➤ सबसे ज्यादा खतरा: यह संक्रमण बच्चों और युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि वे अक्सर तालाबों और झीलों में नहाते या तैराकी करते हैं।
➤ लक्षण: शुरुआत में इसके लक्षण सामान्य वायरल की तरह होते हैं, जैसे सिरदर्द, बुखार, उल्टी और गर्दन में अकड़न। लेकिन बाद में मरीज कोमा में भी जा सकता है।
केरल में क्यों बढ़ रहा है खतरा?
विशेषज्ञों का कहना है कि केरल में इस अमीबा के अधिक मामले सामने आने के कई कारण हो सकते हैं:
➤ गर्म और नम जलवायु: केरल की जलवायु इस अमीबा के पनपने के लिए अनुकूल है।
➤ पानी का उपयोग: कई ग्रामीण इलाकों में लोग रोजमर्रा के कामों के लिए तालाबों और झीलों के पानी का इस्तेमाल करते हैं।
➤ कमजोर इम्यूनिटी: जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर है, उन्हें संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।
➤ इस बीमारी का कोई तय इलाज या वैक्सीन नहीं है, और अगर यह दिमाग तक पहुंच जाए तो मृत्यु दर 95% से भी अधिक हो जाती है।
बचाव के लिए क्या करें?
➤ चूंकि इस बीमारी का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, इसलिए बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है:
➤ नहाने और पीने के लिए हमेशा साफ या उबला हुआ पानी इस्तेमाल करें।
➤ खुले जलाशयों (तालाब, झील) में नहाते समय अपनी नाक में पानी जाने से रोकें।
➤ पूल की सफाई के लिए क्लोरीन का इस्तेमाल करें।
➤ अगर आपको बुखार, सिरदर्द या गर्दन में अकड़न जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
➤ सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।