अंबानी और अडानी भी रह गए पीछे... देश का इकलौता शख्स जो बना ट्रेन का मालिक!

punjabkesari.in Monday, Sep 09, 2024 - 08:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: क्या आपने कभी सोचा है कि कोई अरबपति जैसे रतन टाटा, मुकेश अंबानी, या गौतम अडानी ट्रेन खरीद सकते हैं? शायद नहीं! लेकिन, भारत जैसे चमत्कारों वाले देश में ऐसा हुआ है। यहां पंजाब के एक साधारण किसान ने ऐसा किया, जो बड़े उद्योगपतियों ने भी नहीं किया। इस किसान का नाम है सम्पूर्ण सिंह।

दरअसल, सम्पूर्ण सिंह ने मुआवजे के तौर पर रेलवे से अपनी जमीन के बदले ट्रेन की मांग की। जब रेलवे ने इसे ठुकरा दिया, तो सिंह ने अदालत का सहारा लिया। अदालती लड़ाई के बाद, अदालत ने आदेश दिया कि रेलवे सम्पूर्ण सिंह को ट्रेन का मालिक बना दे। कुछ समय के लिए, सम्पूर्ण सिंह वाकई 'ट्रेन के मालिक' बन गए, जिससे उनकी कहानी देशभर में चर्चा का विषय बन गई। 

2007 का है मामला
यह मामला 2007 का है जब लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के लिए रेलवे ने कटाना गांव में सम्पूर्ण सिंह की जमीन अधिग्रहण की थी। उस समय सिंह को 25 लाख रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया गया था, जबकि पड़ोस के गांव में रेलवे ने 71 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से जमीन खरीदी थी। इस भेदभाव से नाराज होकर सिंह ने न्याय के लिए अदालत का रुख किया।

अदालत का फैसला सिंह के पक्ष में
2015 में अदालत ने सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया और रेलवे को आदेश दिया कि वे 1.47 करोड़ रुपए का मुआवजा दें। हालांकि, रेलवे ने केवल 42 लाख रुपए का भुगतान किया, जिससे सिंह ने कानूनी लड़ाई को जारी रखा। 2017 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने रेलवे को मुआवजे की शेष राशि चुकाने के लिए दिल्ली-अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन और लुधियाना स्टेशन मास्टर के कार्यालय को जब्त करने का आदेश दे दिया।

किसान ने ट्रेन पर किया कब्जा
अदालत के आदेश पर सिंह लुधियाना स्टेशन पहुंचे और ट्रेन को अपने कब्जे में ले लिया। कुछ समय के लिए, सम्पूर्ण सिंह एक यात्री ट्रेन के एकमात्र मालिक बन गए। यह वाकया देशभर में चर्चा का विषय बन गया और सिंह भारत के पहले व्यक्ति बन गए जिन्होंने इस तरह से ट्रेन पर अस्थायी स्वामित्व हासिल किया।

ट्रेन को जल्द किया गया मुक्त
हालांकि, ट्रेन को जल्द ही रेलवे ने छुड़वा लिया और यह मामला अभी भी कानूनी प्रक्रिया में फंसा हुआ है। सम्पूर्ण सिंह की यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि एक आम नागरिक भी न्याय की लड़ाई में कैसे बड़ी संस्थाओं को चुनौती दे सकता है।


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Content Editor

rajesh kumar

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