जिस मिडिल क्लास ने भाजपा को बहुमत से रखा दूर, उसे ही केंद्रीय बजट में नहीं मिली खास राहत

punjabkesari.in Saturday, Aug 03, 2024 - 09:48 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भाजपा की रीढ़ कहलाने वाले जिस मिडिल क्लास ने इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को केंद्र में अपने बूते पर सरकार बनाने से रोक दिया अब उसी मिडिल क्लास को केंद्रीय बजट में कोई खास राहत नहीं दी गई है। लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सी.एस.डी.एस.) की तरफ से किए गए चुनाव-पश्चात सर्वेक्षण के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि मिडिल और अपर मिडिल क्लास के वोटर्स ने भाजपा से दूरी बनाई है। जानकारों का कहना है कि देश की 31 फीसदी आबादी मिडिल क्लास की है और केंद्रीय बजट में उनकी मांगों और जरूरतों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है।  

मिडिल क्लास के लिए टैक्स एक बड़ी चिंता
लोकनीति-सी.एस.डी.एस. के प्रो. संजय कुमार ने अपने एक लेख में जिक्र करते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा से छिटक रहे मिडिल क्लास को इस बजट से उम्मीद थी कि उसके लिए सरकार कुछ बड़ी घोषणाएं करेगी। मिडिल क्लास के लिए टैक्स एक बड़ी चिंता का विषय है। अधिकतर टैक्सपेयर्स मिडिल क्लास से ही हैं।
लेख में कहा गया है कि सरकार ने बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एल.टी.सी.जी.) टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है। साथ ही शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन ( एस.टी.सी.जी.) टैक्स को भी 15% से बढ़ाकर 20% करने का प्रस्ताव दिया है।

म्यूचुअल फंड और शेयरों के निवेशक होंगे प्रभावित
प्रो. संजय कुमार  का मानना है कि सरकार का यह फैसला उन लोगों को प्रभावित करेगा जो म्यूचुअल फंड और शेयरों में निवेश करते हैं। इसका मतलब यह है कि मिडिल क्लास से बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित होंगे। पिछले कुछ साल से मिडिल क्लास की तरफ से म्युचअल फंड में निवेश बढ़ा है। ऐसे में उनके रिटर्न पर टैक्स का बोझ अधिक हो सकता है। यह निवेश को कम आकर्षक बनाता है। वह कहते हैं कि आयकर अधिनियम में धारा 80डी के तहत कटौती लगभग एक दशक से स्थिर रही है। मिडिल क्लास फैमिली, जो अक्सर अपने फाइनेंस मैनेजमेंट के लिए कर कटौती पर निर्भर करते हैं, सामूहिक रूप से, ये बजटीय प्रावधान असंतोष की भावना को बढ़ावा देंगे।

कैसे छिटक गया मिडिल क्लास का वोट बैंक  
भाजपा को 2019 के चुनावों की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनावों में नुकसान हुआ है। इसकी एक बड़ी वजह  मिडिल क्लास के वोट बैंक का छिटक जाना भी था। सी.एस.डी.एस. के आंकड़े कहते हैं कि मिडिल क्लास की वजह से भाजपा के वोट में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 2019 में ये 38 फीसदी से घटकर 2024 में यह वोटर 35 फीसदी तक रह गए हैं। हालांकि कांग्रेस को मिडिल क्लास के वोटर्स से कोई लाभ नहीं हुआ, लेकिन इसके नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक ने 2019 की तुलना में 2024 में मिडिल क्लास के वोटरों से वोट शेयर में 3 अंकों की वृद्धि हासिल की। इसके अलावा भाजपा ने अपर मिडिल क्लास के वोट भी गंवाए हैं। 2019 के दौरान अपर मिडिल क्लास के 44 फीसदी वोटर्स ने भाजपा को चुना था। साल 2024 में यह घटकर 41 फीसदी रह गया। इस घटी हुई हिस्सेदारी ने 2024 में एन.डी.ए. के वोट शेयर को भी प्रभावित किया। दूसरी ओर 2024 में अपर मिडिल क्लास के वोटर्स से कांग्रेस के वोट शेयर में 2 अंकों की बढ़त हुई है। पार्टी के सहयोगियों को अपर मिडिल क्लास के वोटरों से कहीं अधिक लाभ हुआ। भाजपा ने निम्न आय वर्ग से अपना समर्थन बनाए रखा। 2019 में निम्न आय वर्ग के 35 फीसदी मतदाताओं ने भाजपा को चुना था और 2024 में भी यही स्थिति रही।

गरीब और मिडिल क्लास को खुश रखना चुनौती
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सबसे कम आय वर्ग के मतदाताओं के बीच भाजपा का समर्थन आधार मामूली रूप से बढ़ा है। 2019 के दौरान, सबसे कम आय वर्ग के 36 फीसदी मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया। यह 2024 में बढ़कर 37 फीसदी हो गया। जानकारों की मानें तो भाजपा ने मिडिल और अपर मिडिल क्लास के बीच लोकप्रियता खो दी है। पार्टी ने निम्न आय वर्ग के बीच अपना समर्थन आधार बनाए रखा। साथ ही गरीब वर्गों के बीच मामूली रूप से अधिक समर्थन प्राप्त किया। प्रो. संजय कुमार  कहते हैं कि सबसे निचले तबके के मतदाताओं के बीच बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता का श्रेय सरकार द्वारा मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को दिए जाने वाले मुफ्त राशन और विभिन्न अन्य कल्याणकारी योजनाओं को दिया जा सकता है। वह कहते हैं कि भाजपा के लिए यह पुनर्विचार करने का समय है कि वह एक ही समय में गरीब और मिडिल क्लास दोनों को कैसे खुश करेगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Related News