अशांति के कारण चौपट हो गई घाटी की अर्थव्यवस्था

punjabkesari.in Monday, Jul 31, 2017 - 08:23 PM (IST)

श्रीनगर : कभी पर्यटक के कारण गुलजार रहने वाली दुनिया की जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर में पिछले एक साल से ज्यादा पर्यटक की जगह अशांति का दौर चल रहा है। इसका सीधा असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, घाटी की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है। इस बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने व्यय के मामले में राज्य की वित्त संहिता का उल्लंघन करते हुए वित्त वर्ष 2015-16 में 29 अनुदानों में 23,234 करोड़ रुपये यानी 42 प्रतिशत से अधिक की राशि चौथी तिमाही में खर्च की। इन अनुदानों पर उसे कुल 54,660 करोड़ रुपये व्यय करने थे । रिपोर्ट में कहा गया है कि आखिरी महीनों में बजट खर्च करने के मामले में लद्दाख मामलों का विभाग सबसे अलग दिखा। इसने वित्त वर्ष 2015-16 की अंतिम तिमाही में अनुदानों की कुल राशि का 97 फीसदी राशि खर्च आखिरी तीन महीनों में किया।


कैग की रिपोर्ट के अनुसार राजस्व और परिवहन विभाग ने खर्च की जाने वाली राशि का क्रमश : 67 और 64 फीसदी व्यय अंतिम तिमाही में किया। जम्मू-कश्मीर वित्त संहिता के अनुसार वित्त वर्ष के अंतिम महीने में भारी मात्रा में व्यय करने से बचा जाना चाहिए। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाओं के कारण वहां की अर्थव्यवस्था पर गंभीर नकारात्मक असर पड़ा है। रिजर्व बैंक ऑफ  इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भी घाटी के 9 जिलों के आर्थिक आंकड़ों में काफी गिरावट आई है। इनमें श्रीनगर भी शामिल है। आंकड़ों के मुताबिक, इन नौ जिलों के मार्च 2017 तक के आंकड़े 5 फीसदी तक गिरे हैं, इससे पहले मार्च 2016 में ये ग्रोथ 8.37 फीसदी तक रही थी। वहीं इस वर्ष श्रीनगर के आंकड़े में 0.34 फीसदी की कटौती हुई है, इसके अलावा शोपियां जिले के आंकड़े 10.25 फीसदी से गिरकर 1.15 फीसद पर आ गए हैं।


कुछ उद्योगों पर बहुत बुरा असर
गौरतलब है कि 2014 में आई बाढ़ के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ था वह पिछले वर्ष से कुछ सुधरना शुरू हुआ था, लेकिन पिछले कुछ समय में इसे फिर से झटका लगा है, राज्य का टूरिज्म व्यापार एक बार फिर गोता लगा रहा है। होटल, हैंडीक्राफ्ट, ट्रांसपोर्ट हर जगह इसका असर पड़ा है। राज्य सरकार की तरफ  से विकास की योजनाओं पर खर्च करने में देरी का असर मुख्य रूप से श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा और कुलगाम में हुआ है। इन्हीं जिलों में सबसे ज्यादा पत्थरबाजी और अन्य घटनाएं होती हैं, अगर पूरे राज्य के आंकड़ों को देखें तो मार्च 2016 में जो आंकड़े 14.1 फीसदी थे, वे मार्च 2017 में 5.05 फीसदी पर आ गए हैं।

अमरनाथ यात्री भी नहीं जा रहे श्रीनगर
ज्ञात हो कि अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले लोग भी अब घाटी की ओर रुख नहीं कर रहे हैं इसके पीछे भी कारण पत्थरबाज ही हंै। इसके वजह से कारोबार पर सीधा असर हो रहा हैं साल में अमरनाथ यात्रा की वजह से घाटी में कारोबार बहुत होता हैं होटल, परिवहन सभी को फायदा होता है, लेकिन पत्थरबाजों के कारण ऐसा नहीं हुआ है।

 


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