थाईलैंड का ड्रैगन के खिलाफ नया कदम-चीन के साथ बड़ा प्रोजेक्ट किया रद्द, भारत को होगा फायदा

punjabkesari.in Saturday, Sep 19, 2020 - 01:40 PM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्कः चीन की विस्तावादी नीतियों और दादागिरी से तंग एक और देश ड्रैगन के खिलाफ खड़ा हो गया है। कभी चीन का करीबी दोस्त रहा यह देश थाईलैंड भी अब उससे दूरियां बनाने लगा है जिस कारण ड्रैगन की मुसीबत बढ़  सकती है। चीन को सबक सिखाने के लिए अब थाईलैंड क्वाड देशों यानि  भार, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ हाथ मिला सकता है। दरअसल थाईलैंड अपने एक प्रोजैक्ट से चीन को अलग कर दिया है। थाइलैंड अपने इस  क्रा कैनाल प्रोजेक्ट (क्रा नहर परियोजना) को तैयार करने के लिए अब भारत के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को कांट्रैक्ट दे सकता हैृ। पहले ये कॉन्ट्रैक्ट चीन को दिया जाने वाला था। लेकिन अब यह  प्रोजेक्ट किसके हिस्से आएगा, अभी यह तय नहीं है।  फिलहाल चीनी कंपनियां इस रणनीतिक प्रोजेक्ट से बाहर होती नजर आ रही हैं। 10 दिन पहले थाईलैंड सरकार ने चीन से 2 सबमरीन्स की डील रद्द कर दी थी।

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 ये है पूरा मामला 
बंगाल की खाड़ी में चीन थाईलैंड के लिए एक नहर बनाने की कोशिश में था। अगर यह नहर चीन बना लेता तो बहुत आसानी से वह हिंद महासागर तक पहुंच सकता था। यानी भारत के लिहाज से यह प्रोजेक्ट समुद्री सीमा सुरक्षा के लिए एक परेशानी बन जाता। भारत के अलावा कम्बोडिया और म्यांमार तक चीन की सीधी पहुंच हो जाती।


भारत और अमेरिका  का दबाव आया काम
माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के दबाव के चलते थाईलैंड सरकार ने चीन के साथ बंगाल की खाड़ी में यह नहर प्रोजेक्ट रद्द कर दिया। थाईलैंड सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि छोटे पड़ोसी देशों के हितों के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है। इसमें कहा गया है कि म्यांमार और कम्बोडिया की सीमाएं चीन से मिलती हैं, थाईलैंड सरकार को लगता है कि चीन नहर के जरिए इन दोनों के हितों को प्रभावित कर सकता है। थाईलैंड सरकार ने घोषणा की है कि अब वह खुद इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगी। यह नहर 120 किलोमीटर लंबी होगी। थाईलैंड के इस फैसले के बाद ये स्पष्ट नज़र आ रहा है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के उग्र रवैये के बाद सभी देश उससे किनारा कर रहे हैं।

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उल्टा पड़ा चीन का दांव
चीन का दोबारा दावेदारों की लिस्ट में होना बस एक औपचारिकता है। थाई मीडिया थाईलैंड संसद में थाई नेशनल पावर पार्टी के सांसद सोंगलोड ने थाई सदन को जानकारी दी कि भारत, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और चीन इस प्रोजेक्ट में उसका साथ देने की बात कह रहे हैं। सांसद ने बताया कि ये देश नहर प्रोजेक्ट को लेकर थाई सरकार के साथ मेमोरेंडम साइन करना चाहते हैं। सांसद ने यह भी जानकारी दी कि 30 से ज्यादा विदेशी कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट को आर्थिक और टेक्नीकल सपोर्ट देने के लिए मंशा जाहिर की है। अगर यह प्रोजेक्ट भारत या भारत के किसी कंपनी के हाथ आता है तो चीन का दांव उल्टा पड़ जाएगा। चीन का दोबारा दावेदारों की लिस्ट में होना बस एक औपचारिकता है। थाई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थाईलैंड अब यह प्रोजेक्ट चीन को नहीं देगा।

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थाईलैंड कुछ दिन पहले भी दे चुका चीन को झटका 
इससे कुछ दिन पहले भी थाईलैंड चीन को झटका दे चुका है। थाईलैंड ने चीन के साथ हुई सबमरीन डील को टाल दिया था। साल 2015 में थाईलैंड और चीन के बीच नेवल हार्डवेयर और इक्यूप्मेंट्स की खरीद पर बातचीत शुरू हुई थी। 2017 में थाईलैंड ने 3 सबमरीन खरीदने का सौदा किया था। चीन की तरफ से पहली सबमरीन की डिलीवरी 2023 में होनी थी। थाई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सबमरीन डील 72.4 करोड़ डॉलर की थी और इसके स्थगित होने से चीन को बड़ा झटका लगा है।

 


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Tanuja

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