Tesla की भारत में एंट्री से घरेलू कंपनियों पर क्या पड़ेगा असर, टाटा-महिंद्रा को तो नहीं होगा कोई नुकसान? आइए जानतें हैं
punjabkesari.in Thursday, Jul 17, 2025 - 03:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क : दुनिया की प्रमुख इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी Tesla ने आखिरकार अपनी लोकप्रिय SUV Model Y को भारत में लॉन्च कर दिया है। हालांकि, यह वाहन भारत में निर्मित नहीं होगी, बल्कि शंघाई स्थित प्लांट से Completely Built Unit (CBU) के रूप में भारत लाई जाएगी। इसके चलते इस पर भारी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है, जिसकी वजह से इसकी कीमत लगभग ₹60 लाख तक पहुंच गई है, जो आम भारतीय उपभोक्ताओं की पहुंच से काफी दूर है।
कितनी है Tesla Model Y की भारत में कीमत?
भारत में विदेशों से आयात की गई गाड़ियों पर भारी शुल्क लगाया जाता है। सरकार के नियमों के मुताबिक $40,000 (लगभग ₹34.38 लाख) तक की कारों पर 70% टैक्स। इससे महंगी कारों पर 100% टैक्स यह टैक्स लागत, बीमा और माल ढुलाई (CIF) के आधार पर तय होता है। Tesla Model Y की बेस कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब $47,000 (लगभग ₹40.4 लाख) है। टैक्स और अन्य शुल्क जोड़ने के बाद भारत में इसकी कीमत लगभग ₹60 लाख तक पहुंच जाती है।
भारतीय विकल्पों से कितना महंगा है Tesla Model Y?
Tesla Model Y की कीमत की तुलना में भारत में उपलब्ध कुछ प्रमुख इलेक्ट्रिक SUVs काफी किफायती हैं:
Tata Harrier.EV: ₹21.49 लाख से ₹30.23 लाख
Mahindra XUV.e9: ₹21.90 लाख से ₹31.25 लाख
इस लिहाज़ से Tesla Model Y इन भारतीय विकल्पों की तुलना में ₹30 लाख तक ज्यादा महंगी है।
किन कंपनियों से होगा सीधा मुकाबला?
हालांकि Tesla Model Y की कीमत इसे Tata और Mahindra जैसे घरेलू ब्रांड्स से अलग श्रेणी में रखती है, लेकिन इसका सीधा मुकाबला BYD, Hyundai और Kia जैसी इंटरनेशनल कंपनियों की इलेक्ट्रिक SUVs से माना जा रहा है। ये कंपनियां भी प्रीमियम EV सेगमेंट में भारत में सक्रिय हैं। भारत में Tesla Model Y की लॉन्चिंग के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या इससे घरेलू ऑटोमोबाइल कंपनियों जैसे Tata Motors और Mahindra पर कोई असर पड़ेगा?
विशेषज्ञों के अनुसार, Tesla की एंट्री फिलहाल घरेलू बाजार पर ज्यादा प्रभाव नहीं डालेगी, और इसके पीछे कई अहम कारण हैं। Tesla Model Y की कीमत लगभग ₹60 लाख है, जो इसे लक्ज़री सेगमेंट में रखती है। वहीं Tata और Mahindra जैसी कंपनियां अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियां मिड-सेगमेंट ग्राहकों को ध्यान में रखकर तैयार कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर, Tata Harrier.EV और Mahindra XUV.e9 की कीमतें ₹21–31 लाख के बीच हैं।
लोकल मैन्युफैक्चरिंग की कमी
Tesla ने भारत में अब तक कोई स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित नहीं की है। इसकी वजह से Model Y जैसी गाड़ियां CBU (Completely Built Unit) के रूप में आयात की जा रही हैं, जिस पर भारी आयात शुल्क लगता है। इससे इनकी कीमत और भी ज्यादा हो जाती है। ₹60 लाख की प्रीमियम इलेक्ट्रिक कार का कस्टमर बेस भारत में अभी काफी सीमित है। ऐसे में Tesla की बिक्री से घरेलू कंपनियों के मुख्य उपभोक्ताओं पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा।
यह गाड़ी सिर्फ निशाना वर्ग (niche market) के लिए उपयुक्त है, न कि आम उपभोक्ता के लिए। दुनिया की अग्रणी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी Tesla ने भारत में दस्तक दे दी है, और इसके बाद से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हलचल तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि Tesla की एंट्री घरेलू EV कंपनियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो इनोवेशन और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक नई प्रेरणा बन सकती है।
घरेलू कंपनियों के लिए चुनौती और मौका
S&P Global Mobility के गौरव वंगाल के अनुसार, Tesla की मौजूदगी से भारतीय कंपनियों को टेक्नोलॉजी और डिजाइन जैसे क्षेत्रों में और मेहनत करनी होगी। इससे Tata, Mahindra और MG जैसी कंपनियां अपने उत्पादों में और बेहतर फीचर्स और उच्च गुणवत्ता को शामिल करने की ओर अग्रसर होंगी।
वहीं EY-Parthenon के सोम कपूर का कहना है कि Tesla की गाड़ियां फिलहाल काफी महंगी हैं, इसलिए इनका घरेलू कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी पर सीधा असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि Tesla का आना प्रेरणा और प्रतिस्पर्धा का माहौल जरूर बनाएगा, जिससे ग्राहकों को लाभ होगा।
भारत बना Tesla के लिए रणनीतिक बाजार
भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन चुका है और यहां का EV सेगमेंट तेजी से विस्तार कर रहा है। यही कारण है कि Tesla अब भारत को एक रणनीतिक बाजार के रूप में देख रही है। दूसरी ओर, Tesla को चीन जैसे बाजारों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में कंपनी की वैश्विक बिक्री जून तिमाही में 13.5% तक घट गई है। ऐसे में भारत Tesla के लिए विकास का नया केंद्र बन सकता है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल बाजार 2030 तक 22–25% की सालाना वृद्धि दर से बढ़ते हुए ₹10 लाख करोड़ के स्तर तक पहुंच सकता है। ऐसे में Tesla सहित सभी कंपनियों के लिए यह एक अत्यंत संभावनाशील क्षेत्र बन गया है।