टाटा समूह ने लोकसभा चुनाव के लिए दिया 600 करोड़ का चंदा

punjabkesari.in Wednesday, May 01, 2019 - 08:15 AM (IST)

नई दिल्ली: टाटा समूह ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए 600 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। यही नहीं 2014 के लोकसभा चुनाव से अब तक टाटा ग्रुप का चुनावी चंदा 20 गुना ज्यादा बढ़ गया है। बिजनैस स्टैंडर्ड के मुताबिक टाटा ग्रुप ने साल 2014 में सभी दलों को सिर्फ 25.11 करोड़ रुपए ही बतौर चंदा दिया था। इस साल दिए गए 500-600 करोड़ रुपए में से अकेले भाजपा को 350 करोड़ रुपए का चंदा दिया गया है जबकि कांग्रेस को 50 करोड़ रुपए दिया। बाकी करीब 150 से 200 करोड़ रुपए की रकम में से तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सी.पी.आई. एम. और एन.सी.पी. जैसी पार्टियों को चंदा दिया गया है। ट्रस्ट का कहना है कि वह सदन में सदस्यों की संख्या के हिसाब से चंदा देता है इसलिए सबसे ज्यादा सीटों वाली भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा मिला है।

प्रोग्रैसिव इलैक्टोरल ट्रस्ट में समूह की सारी कंपनियां जमा करती हैं पैसा
टाटा समूह की सारी कम्पनियां अपना पैसा प्रोग्रैसिव इलैक्टोरल ट्रस्ट में जमा करवाती हैं। फिर यह ट्रस्ट राजनीतिक दलों को चंदा देता है। साल 2014 में सॉफ्टवेयर कम्पनी टी.सी.एस. यानी टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज ने 1.48 करोड़ इस ट्रस्ट में दिए थे। इस बार टी.सी.एस. ने 220 करोड़ का योगदान दिया है। इसके अलावा टाटा ग्रुप की दूसरी टाटा सन्स, टाटा मोटर्स, टाटा पॉवर और टाटा ग्लोबल बेवरेज लिमिटेड जैसी कम्पनियों ने भी ग्रुप के चंदा ट्रस्ट यानी प्रोग्रैसिव इलैक्टोरल ट्रस्ट में पैसा जमा किया है। टाटा के ट्रस्ट द्वारा अपने राजनीतिक चंदे का आधा हिस्सा चुनावों के पहले और आधा हिस्सा चुनावों के बाद देने का ट्रैंड रहा है लेकिन बाद में ट्रस्ट का नियम बदल दिया गया और पूरा चंदा अब चुनाव से पहले दिया जाता है। इससे सत्तारूढ़ दल को फायदे की गुंजाइश रहती है।

एसोसिएशन ऑफ डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (ए.डी.आर.) ने राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की ऑडिट रिपोर्ट में घोषित चंदे की जानकारी के आधार पर एक विश्लेषण किया है। इससे पता चलता है कि साल 2004-05 से 2017-18 दौरान राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का 66 फीसदी हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आता है। राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही के नाम पर केंद्र सरकार राज्यसभा को दरकिनार करते हुए यह संशोधन वित्त विधेयक के रूप में लेकर आई थी लेकिन सच तो यह है कि इलैक्टोरल बॉन्ड से पारदर्शिता बढऩे के बजाय और कम हुई है। ए.डी.आर. के मुताबिक वर्ष 2004-05 से 2017-18 दौरान कुल 9,278.3 करोड़ का चंदा मिला है। इसमें से 6,612.42 करोड़ का चंदा यानी करीब 71 फीसदी चंदा अज्ञात स्रोतों से हासिल हुआ है। साल 2015-16 दौरान कुल चंदा 1,033.22 करोड़ का मिला जिसमें से 708.48 करोड़ का चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला। साल 2016-17 दौरान राजनीतिक दलों को कुल चंदा 1,559.17 करोड़ रुपए का मिला जिसमें से 710.8 यानी 46 फीसदी चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला।


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Seema Sharma

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