तमिलनाडु: मंदिरों का 2000Kg सोना गलाने की तैयारी में स्टालिन सरकार, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 01:34 PM (IST)

नेशनल डेस्क: तमिलनाडु सरकार राज्य के मंदिरों का लगभग 2138 किलो सोना पिघलाने की तैयारी में है। तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार के इस आदेश को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्त्ता ने स्टालिन के इस आदेश को अवैध बताते हुए कहा कि मंदिर में श्रद्धालुओं की तरफ से चढ़ाए गए सोने का बिना सही ऑडिट किए हड़बड़ी में सरकार इस तरह का कमद उठा रही है। याचिकाकर्त्ता ने कहा कि इससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं। वहीं राज्य की DMK सरकार दावा कर रही है कि उसे मंदिर में जमा सोने को गला कर गोल्ड बार में बदलने का अधिकार है।

 

सरकार की तरफ से कहा गया कि इस तरह की प्रक्रिया नई नहीं, यह 50 साल से चली आ रही है। ए वी गोपाला कृष्णन और एम के सर्वानन नाम के दो याचिकाकर्त्ताओं ने हाईकोर्ट में कहा कि सरकार का यह आदेश सिर्फ हिंदू रिलिजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स एक्ट, ऐंसिएंट मॉन्यूमेंट्स एक्ट, जेवेल रूल्स आदि का उल्लंघन ही नहीं करता बल्कि हाईकोर्ट के आदेश के भी खिलाफ है। दरअसल इसी साल 7 जून को हाईकोर्ट ने मंदिरों की संपत्ति के मूल्यांकन और उसका रिकॉर्ड दर्ज किए जाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह माना था कि पिछले 60 साल से राज्य में ऐसा नहीं किया जा रहा है।

 

बता दें कि राज्य सरकार ने हाल ही में कहा था कि वह देवताओं के श्रृंगार में आने वाले बड़े आभूषणों के अलावा सोने के बाकी गहनों और दूसरी वस्तुओं को पिघलाएगी, उसने इनका वजन भी 2138 किलो घोषित कर दिया। सरकार ने कहा कि 24 कैरेट सोने के बार बैंकों में रखकर जो पैसे मिलेंगे उनका इस्तेमाल मंदिरों के विकास में होगा. लेकिन हिंदू संगठनों का मानना है बिना ऑडिट गहनों को पिघलाने के पीछे सरकार का फैसला संदेहजनक है। कानूनन सोने को पिघलाने का फैसला ट्रस्टी करते हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि तमिलनाडु के अधिकतर मंदिरों में 10 साल से भी ज़्यादा समय से ट्रस्टी नियुक्त ही नहीं किए गए हैं। याचिकाकर्त्ताओं ने हाईकोर्ट से इस आदेश पर तत्काल रोक की मांग की है। इस मामले की सुनवाई 21 अक्तूबर को होगी।


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Content Writer

Seema Sharma

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