जानिए क्यों, जलाया नहीं बल्कि दफनाया जाएगा राजनीति के महानायक करुणानिधि को?

punjabkesari.in Wednesday, Aug 08, 2018 - 01:26 PM (IST)

नई दिल्ली: तमिलनाडु के अस्पताल में पूर्व मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) अध्यक्ष एम करुणानिधि ने मंगलवार शाम 6:10 बजे अपनी अंतिम सांस ली। वह 94 साल के थे और कुछ वक्त से बीमार होने के चलते अस्पताल में भर्ती थे।  करुणानिधि को मरीना बीच पर ही दफनाया जाएगा, मद्रास हाईकोर्ट ने इसकी अनुमति दे दी है। लेकिन आपको बता दें कि एम करुणानिधि के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा बल्कि उन्हें दफनाया जाएगा। अब सवाल यहां ये उठाता है कि भारत में तो हिंदुओं के निधन होने के बाद अंतिम संस्कार में पार्थिव शरीर को जालने की परंपरा है लेकिन करुणानीधि के पार्थिव शरीर को आखिर दफनाया क्यों जा रहा है?

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तमिलनाडु में अन्नादुरै के नेतृत्व में बनी पार्टी  द्रविड़ मुनेत्र कड़गम राज्य की राजनीती में द्रविड़ सामज के प्रति अलग से वैचारिक महत्व रखती है। पार्टी के प्रमुख रहे अन्नादुरै का द्रविड़ आंदोलन में बड़ा नाम रहा है और उनके विचारों की बात करें तो वह हमेशा ही ब्राह्मणवाद पंरपरा के विरोध में रहें है। यहीं कराण था कि  हिंदू होने के बाद भी उनके निधन के बाद अन्ना के पार्थिव शरीर को जलाया नहीं गया बल्कि चेन्नई के मरीना बीच पर ही उन्हें दफना दिया गया। 

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अन्नादुरै द्वारा बनाई गई पार्टी  का तमिल राजनीति में अपना ही अलग महत्व था। इस पार्टी में अपनी अलग ही स्थान बनाने वाले दो नाम थे एक एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) और एक एम करुणानिधि। दोनों ही बेहतरीन नेता थे। लेकिन अन्नादुरै की मौत के बाद एक एम करुणानिधि ने डीएमके की कमान अपने हाथ में ली। लेकिन कुछ मदभेदों के चलते एमजीआर ने अगल पार्टी एआईएडीएमके को गठित करने का फैसाल लिया। 

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जयललिता भी दफनाया
एमजीआर को उनकी अंतिम सांस लेने के बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके राजनीतिक गुरु रहे अन्नादुरै की समाधि के पास ही मरीना बीच पर दफनाया गया। वहीं, 2016 में जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके की मुखिया रही जयललिता का निधन हुआ तो उनके भी पार्थिव शरीर को एमजीआर की समाधि के पास दफनाया गया था।

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हालांकि एम करुणानिधि भी एक बेहतरीन राजनेता होने के अलावा वहां के स्थानीय लोगों में करुणानिधि के प्रति एक जननेता का भी भाव मौजूद था। जिस तरह द्रविड़ों के प्रति उन्होंने आपार संवेदना दिखाई उसी के चलते उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को  ब्राह्मणवादी परंपरा के विरुद्ध, जलाए जाने के बजाए दफनाने की परंपरा को ध्यान में रखते हुए उनके पार्थिव शरीर को दफनाया जाएगा।


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Anil dev

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