तमिलनाडु : NEET परीक्षा को रद्द करे केंद्र सरकार, NTA को ठहराए दोषी, DMK ने की मांग

punjabkesari.in Thursday, Jun 13, 2024 - 08:42 PM (IST)

तमिलनाडु : तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को चिकित्सकीय पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के आयोजन में कथित अनियमितताओं को लेकर केंद्र की आलोचना की और कहा कि छात्रों को कृपांक देना 'अस्वीकार्य' है क्योंकि यह धोखाधड़ी के समान है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एम सुब्रमण्यन ने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा के खिलाफ देश भर में बढ़ते आक्रोश और विरोध ने द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके) की इस परीक्षा को समाप्त करने की बार-बार की गई अपील को और बल दिया है।

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राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी को दोषी ठहराया जाना चाहिए
सुब्रमण्यन ने कहा, "परीक्षा के संचालन, खासकर कृपांक देने के कारण होने वाली अनियमितताओं और भ्रम के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी को दोषी ठहराया जाना चाहिए। कृपांक देने का आधार क्या था और क्या इस निर्णय के बारे में 'नीट' के उम्मीदवारों को सूचित किया गया है?” राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि अनियमितताओं और भ्रम के कारण परीक्षा में शामिल हुए 23 लाख अभ्यर्थियों को मानसिक पीड़ा हुई है। उन्होंने दावा किया कि तमिलनाडु से किसी भी अभ्यर्थी को कृपांक नहीं दिया गया है।

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NEET परीक्षा को खत्म करने की मांग पूरे देश में...
इससे पहले दिन में, केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 1,563 नीट-यूजी 2024 उम्मीदवारों को कृपांक देने का निर्णय रद्द कर दिया गया है। इन उम्मीदवार को 23 जून को फिर से परीक्षा में बैठने का विकल्प दिया जाएगा। सुब्रमण्यन ने कहा, "राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा को खत्म करने की मांग अब पूरे भारत में सुनी जा रही है। द्रमुक अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी इस परीक्षा को खत्म करने पर जोर दे रहे हैं। केंद्र सरकार को कम से कम अब नीट परीक्षा को रद्द करने के लिए आगे आना चाहिए।"

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी पार्टी प्रमुख और दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के विरोध के बावजूद राज्य में राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा को अनुमति दी। अभ्यर्थियों के लिए न्याय की मांग करते हुए स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यन ने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा ने कई छात्रों, खासकर ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के मौके से वंचित कर दिया है। 

 

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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