NCP में बड़ा बदलाव, सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल होंगे NCP के कार्यकारी अध्यक्ष
punjabkesari.in Saturday, Jun 10, 2023 - 04:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया। इस घोषणा को पार्टी में एक पीढ़ीगत बदलाव के साथ ही पवार के भतीजे अजित पवार को वस्तुत: दरकिनार करने तौर पर देखा जा रहा है, जो अपने बगावती तेवरों के लिए पहचाने जाते हैं। पवार ने पार्टी की 25वीं वर्षगांठ पर यहां कार्यकारी अध्यक्षों के नामों की घोषणा की। राकांपा के वरिष्ठ नेता अजित पवार की मौजूदगी में यह घोषणा की गई। गौरतलब है कि पवार और पी.ए. संगमा ने 1999 में पार्टी की स्थापना की थी।
पवार ने अजित पवार, छगन भुजबल, सुनील तटकरे, फौजिया खान सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में कहा, ‘‘प्रफुल्ल पटेल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे। सुप्रिया सुले भी पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष होंगी।'' इस घोषणा के बाद उदास नजर आ रहे अजित पवार मीडिया से बातचीत किए बिना ही पार्टी कार्यालय से चले गए। अजित पवार ने 2019 में उस समय सभी को चौंका दिया था, जब उन्होंने भाजपा के साथ हाथ मिलाकर तड़के ही उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जबकि देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि वह पवार की घोषणा से उत्साहित हैं और पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना जारी रखेंगे। पटेल ने कहा, ‘‘मैं 1999 से पवार साहब के साथ काम कर रहा हूं। इसलिए मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं है। बेशक, कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में प्रोन्नति पाकर मैं खुश हूं। मैं पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना जारी रखूंगा।'' पवार ने पटेल को मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, गोवा और राज्यसभा का पार्टी प्रभारी भी बनाया।
वहीं, सुले महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब में पार्टी मामलों के अलावा महिलाओं, युवाओं, छात्रों और लोकसभा से जुड़े मुद्दों की प्रभारी होंगी। सुले को महाराष्ट्र का प्रभारी बनाए जाने के बाद अब अजित पवार को पार्टी के मामलों पर सुले को रिपोर्ट करनी होगी। माना जा रहा है कि यह एक ऐसा कदम है, जिससे अजित को पार्टी में असहज महसूस करना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि शरद पवार ने पिछले महीने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी, जिसका पार्टी के सदस्यों के साथ-साथ अन्य राजनीतिक नेताओं ने जोरदार विरोध किया था। पवार की पेशकश पर विचार-विमर्श के लिए गठित राकांपा की समिति ने पांच मई को उनके इस्तीफे को खारिज कर दिया था और उनसे पार्टी अध्यक्ष बने रहने का आग्रह किया था।
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