बदले की भावना के लिए दहेज कानून का न उठाएं फायदा: सुप्रीम कोर्ट

punjabkesari.in Saturday, Sep 15, 2018 - 03:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी पीड़िता के 'आक्रोश' और 'बदले' की भावना को दहेज उत्पीडऩ पर कानूनी प्रावधान का फायदा नहीं मिलना चाहिए और सहानुभूति का सहारा लेकर दूसरे पक्ष को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। न्यायालय ने शुक्रवार को अपने एक पुराने आदेश में संशोधन करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक को खत्म करते हुए यह टिप्पणी की। 
PunjabKesari
सहानुभूति का न लें सहारा 
शीर्ष अदालत ने अपने उस पुराने आदेश में पति और ससुराल पक्ष के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से पहले विवाहित महिलाओं की शिकायत की जांच के लिए एक समिति का गठन करने को कहा था। न्यायालय ने कहा कि अदालतें हमेशा इस बात को लेकर सजग रहती हैं कि ऐसी कोई स्थिति नहीं आए कि किसी की बदले की भावना को कानूनी प्रावधान का फायदा मिले। पीड़ित सहानुभूति के सहारे या अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दूसरे पक्ष को प्रताड़ित नहीं कर सके। 

PunjabKesari
परिवार कल्याण समिति के गठन पर उठाए सवाल
शीर्ष अदालत ने कहा कि हर जिले में परिवार कल्याण समिति गठित करने और उन्हें शक्ति प्रदान करने का निर्देश 'कानूनी ढांचे के अनुरूप नहीं' था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि अदालतों के पास अग्रिम जमानत नाम से प्रसिद्ध गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने और यहां तक कि कानूनी संतुलन बनाने के लिए आपराधिक कार्यवाही को पूरी तरह से निरस्त करने की पर्याप्त शक्ति है।  

PunjabKesari
पीठ ने अपने फैसले में किया संशोधन
पीठ ने अपने उस पिछले फैसले में भी संशोधन किया, जिसमें यह निर्देश दिया गया कि अगर किसी वैवाहिक विवाद के पक्षों के बीच समझौता होता है तो निचली अदालत के न्यायाधीश आपराधिक मामले को बंद कर सकते हैं। अदालत ने पिछले साल जुलाई में हर जिले में परिवार कल्याण समिति के गठन का निर्देश दिया था, जो पुलिस या मजिस्ट्रेट द्वारा प्राप्त दहेज उत्पीडऩ के आरोपों का सत्यापन करेगी। अदालत ने तब कहा था कि समिति की रिपोर्ट आने पर ही किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी होगी। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

vasudha

Recommended News

Related News