सुुप्रीम कोर्ट का धारा 6ए पर फैसला ऐतिहासिक, असम में अवैध प्रवासियों के खिलाफ होगी कार्रवाई: रविशंकर प्रसाद

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 09:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को 'ऐतिहासिक' बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि असम में 'बड़े पैमाने पर' अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए असम में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने संबंधी नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान है। उच्चतम न्यायालय के बहुमत के फैसले में कहा गया कि असम में प्रवेश और नागरिकता प्रदान करने के लिए 25 मार्च, 1971 तक की समय सीमा सही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ''आज उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता कानून की धारा 6 ए की संवैधानिक वैधता पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।"

उन्होंने कहा कि इस प्रावधान का मूल यह है कि 1966 तक असम में प्रवेश करने वालों को असम के नागरिक के रूप में माना जाएगा और 1966 और 1971 के बीच के लोगों को आवश्यक नियमों के अनुपालन के अधीन माना जाएगा। उन्होंने कहा, "और उसके बाद जो भी लोग यहां आए हैं, निश्चित रूप से उनके साथ अवैध प्रवासियों जैसा व्यवहार किया जाएगा।" भाजपा नेता ने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला असम के लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासियों के बारे में महसूस की जा रही शिकायतों पर मुहर है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से असम में अवैध आव्रजन के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में मदद मिलेगी और निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।

प्रसाद ने कांग्रेस पर भी हमला किया और कहा कि वोट बैंक की राजनीति करने वालों को भी इसका पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान छात्रों के आंदोलन के बाद असम करार के मद्देनजर भारतीय नागरिकता अधिनियम में धारा 6 ए जोड़ी गई है। उन्होंने कहा, ''सभी कांग्रेसवाले (कांग्रेस जन) इसे भूल गए हैं। लेकिन आज जब इस प्रावधान को (उच्चतम न्यायालय द्वारा) बरकरार रखा गया है तो हम इसकी सराहना करते हैं।"


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Content Editor

rajesh kumar

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