सुप्रीम कोर्ट ने ड्रेस कोड में ढील की याचिका की खारिज, वकील नहीं पहन सकते कुर्ता-पायजामा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 18, 2024 - 10:09 AM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देशभर के वकीलों के लिए गर्मी के मौसम में ड्रेस कोड में ढील देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका पेश की गई थी, जिसमें सुझाव दिया गया था कि वकील गर्मी के कारण पारंपरिक गाउन पहनने में असुविधा महसूस कर रहे हैं। इस याचिका को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सुना।

गर्मी के मौसम में भारी गाउन पहनना कठिन
याचिका में वकीलों ने तर्क दिया कि गर्मी के मौसम में भारी गाउन पहनना कठिन होता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां तापमान अधिक होता है। इस संदर्भ में वकीलों ने अनुरोध किया था कि उन्हें गर्मी के मौसम में अधिक आरामदायक परिधान पहनने की अनुमति दी जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि पेशेवर शिष्टाचार बनाए रखना आवश्यक है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक राज्य की जलवायु भिन्न होती है, और इस मुद्दे पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और केंद्र सरकार को विचार करना चाहिए। 

"राजस्थान जैसी स्थितियां बेंगलूरु में नहीं हैं"
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि राजस्थान जैसी गर्मी की स्थितियां बेंगलूरु में नहीं होतीं। इस बात का संकेत देते हुए, अदालत ने कहा कि अलग-अलग स्थानों पर जलवायु के अनुसार वकीलों को पेशेवर रूप से व्यवहार करना चाहिए। 

गाउन को पहले ही छूट दी जा चुकी है
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "गाउन को पहले ही छूट दी जा चुकी है, लेकिन शिष्टाचार का न्यूनतम मानक बनाए रखा जाना चाहिए।" इसका मतलब यह है कि अदालतें वकीलों के लिए एक निश्चित स्तर की पेशेवरता की अपेक्षा करती हैं, जिससे अदालत की गरिमा बनी रहे। 

कुर्ता-पायजामा और शॉर्ट्स-टी-शर्ट पर लगी रोक
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वकील कुर्ता-पायजामा या शॉर्ट्स-टी-शर्ट पहनकर बहस नहीं कर सकते। यह बयान पेशेवरता को बनाए रखने के लिए है, ताकि अदालतों में एक गंभीर और सम्मानित वातावरण बने। 

वकीलों के लिए पेशेवरता और गरिमा का पालन आवश्यक
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय यह स्पष्ट करता है कि वकीलों के लिए पेशेवरता और गरिमा का पालन आवश्यक है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत चित्रण को दर्शाता है, बल्कि यह अदालत की छवि और उसकी गंभीरता को भी बनाए रखता है। वकीलों को यह समझना चाहिए कि उनकी वेशभूषा उनके पेशेवर आचरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ड्रेस कोड में आवश्यक बदलावों पर चर्चा 
सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल को सुझाव दिया है कि वह इस मुद्दे पर विचार करें और मौसम के अनुसार ड्रेस कोड में आवश्यक बदलावों पर चर्चा करें। यह संकेत देता है कि अदालत विचारों और सुझावों के प्रति खुली है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि अदालतों में पेशेवरता का स्तर बनाए रखा जाए। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल वकीलों के लिए बल्कि समग्र कानूनी प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि कानून की अदालतों में पेशेवरता और शिष्टाचार की आवश्यकता को कभी कम नहीं आंका जा सकता। अगली बार जब वकील अदालत में उपस्थित हों, तो उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उनकी वेशभूषा न केवल उनके व्यक्तिगत पहचान को दर्शाती है, बल्कि यह अदालत की गरिमा और गंभीरता का भी संकेत है।


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Content Editor

Mahima

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