राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा: केंद्र-राज्य संबंधों पर संवैधानिक व्याख्या की मांग
punjabkesari.in Thursday, May 15, 2025 - 11:35 AM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 8 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर आपत्ति जताई है, जिसमें राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए विधेयकों पर निर्णय लेने की समयसीमा तय की गई थी। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से 15 संवैधानिक प्रश्नों पर राय मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु राज्य के मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति को विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा तय की जानी चाहिए। राज्यपाल को विधानसभा से प्राप्त विधेयकों पर एक महीने के भीतर निर्णय लेना अनिवार्य होगा। यदि राज्यपाल विधेयक पर निर्णय नहीं लेते हैं, तो उसे 'मंजूरी प्राप्त' माना जाएगा। राष्ट्रपति को भी विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए तीन महीने की समयसीमा दी गई है।
राष्ट्रपति की आपत्ति और 15 सवाल
राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत 15 संवैधानिक प्रश्नों पर राय मांगी है। इन सवालों में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों, निर्णय लेने की प्रक्रिया, न्यायिक समीक्षा, और समयसीमा तय करने के मुद्दे शामिल हैं। राष्ट्रपति ने यह भी पूछा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति के विवेकाधिकार में हस्तक्षेप कर सकता है।
संवैधानिक विवेक और न्यायिक समीक्षा
राष्ट्रपति ने सवाल उठाया है कि क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति अपने संवैधानिक विवेक का प्रयोग करते समय न्यायिक समीक्षा से बच सकते हैं। उन्होंने यह भी पूछा है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल और राष्ट्रपति के कार्यों पर न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध है।
समयसीमा और न्यायिक आदेश
राष्ट्रपति ने यह भी पूछा है कि क्या संविधान में निर्धारित समयसीमा और राज्यपाल द्वारा शक्तियों के प्रयोग के तरीके के अभाव में, न्यायालय राज्यपाल द्वारा शक्तियों के प्रयोग के लिए समय सीमाएं लगा सकता है और प्रयोग के तरीके को निर्धारित कर सकता है।
राष्ट्रपति की सहमति और न्यायिक हस्तक्षेप
राष्ट्रपति ने यह भी सवाल उठाया है कि जब संविधान राष्ट्रपति को विधेयकों पर निर्णय लेने का विवेकाधिकार देता है, तो सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप कैसे कर सकता है। उन्होंने यह भी पूछा है कि क्या राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय की राय लेने की आवश्यकता है, जब वह विधेयकों पर निर्णय लेते हैं।
समयसीमा का संवैधानिक आधार
राष्ट्रपति ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या संविधान में समयसीमा तय करने का कोई स्पष्ट प्रावधान है। उन्होंने यह पूछा है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 के तहत राज्यपाल और राष्ट्रपति के निर्णय कानून के लागू होने से पहले के चरण में न्यायोचित हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से 15 संवैधानिक प्रश्नों पर राय मांगी है, जो राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों, निर्णय लेने की प्रक्रिया, न्यायिक समीक्षा, और समयसीमा तय करने के मुद्दों से संबंधित हैं। यह मामला भारतीय संविधान की संरचना और संघीय व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट का उत्तर इन संवैधानिक प्रश्नों पर मार्गदर्शन प्रदान करेगा।