''हम दो, हमारे दो'' की नीति में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इंकार

punjabkesari.in Friday, Mar 09, 2018 - 05:21 PM (IST)

नेशनल डेस्कः शुक्रवार का दिन आम आदमी के लिए बेहद खास रहा। कोर्ट ने इच्छामृत्यु पर ऐतिहासिक निर्णय लिया, वहीं अदालत ने देश में दो बच्चे पैदा करने की नीति अनिवार्य करने की याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पृथ्वीराज चौहान की याचिका पर यह फैसला लिया। माननीय न्यायालय ने कहा कि यह एक नीतिगत मामला है और कोर्ट इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

केंद्र को देना चाहिए बढ़ावा
उच्चतम न्यायालय में 12 फरवरी को दो बच्चे की नीति अनिवार्य करने को लेकर एक याचिका दायर की गई। याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र सरकार को परिवार नियोजन को बढ़ावा देना चाहिए और देश के लोगों को दो बच्चे पैदा करने की नीति के लिए जागरुक करना चाहिए। जानकारी के अनुसार याचिका में कहा गया है कि देश में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए दो बच्चों की नीति अनिवार्य करने का वक्त आ गया है। 'हम दो, हमारे दो' की नीति पर केंद्र को हरसंभव कदम उठाने चाहिए। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने इसमें हस्तक्षेप करने से साफ इंकार कर दिया है।

कुछ प्रदेशों में लागू है यह नीति
दो बच्चों की नीति परिवार नियंत्रण की योजना है। जो माता-पिता को परिवार अपने परिवार को दो बच्चों तक सीमित करने के लिए प्रोत्साहित करती है। देश में राष्ट्रीय स्तर पर परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए यह नीति आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में लागू है।

उल्लेखनीय है कि बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए पड़ोसी देश चीन ने 1979 में एक बच्चे की नीति को लागू किया गया था। यह चीन की परिवार नियोजन नीति थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में चीन में बच्चों के जन्म लेने की संख्या में लगभग 6 लाख 30 हजार की गिरावट दर्ज की गई। वहीं संतुलन बनाए रखने के लिए चीनी सरकार ने वर्ष 2016 में एक बच्चे की नीति को समाप्त कर दिया है। 


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