कचरा प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा “आपात स्थिति” में है दिल्ली

punjabkesari.in Monday, Aug 06, 2018 - 09:08 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कचरा प्रबंधन के बारे में प्राधिकारियों के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुये आज कहा कि कचरों के अंबार की वजह से दिल्ली ‘‘आपात स्थिति’’ का सामना कर रही है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूॢत दीपक गुप्ता की पीठ ने नाराजगी के साथ कहा, ‘‘क्या ऐसे हालात में दिल्ली में कोई भी व्यक्ति जीवित बचेगा?’’ इसके साथ ही पीठ ने प्राधिकारियों से जानना चाहा कि ठोस कचरे के प्रबंधन, विशेष कर घरेलू कचरे को अलग-अलग करने, की योजनाओं पर कैसे अमल किया जायेगा।

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पीठ ने डिफेन्स कालोनी, ग्रीन पार्क और महारानी बाग जैसे कुछ इलाकों में घरेलू कचरा अलग अलग करने के लिये शुरू की गयी पायलट परियोजना का विवरण और इसके अमल के दौरान आने वाली दिक्कतों का विवरण प्राधिकारियों से मांगा। न्यायालय अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद के इस कथन से नाराज थी कि सोनिया विहार के निवासी वहां एक लैंडफिल स्थल का विरोध कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि जनता को ऐसे निर्णय पर सवाल उठाने का पूरा हक है। पीठ ने तो यहां तक कहा कि जनता से इस तरह पेश आने की बजाय स्थानीय निकायों को कचरा ‘राज निवास मार्ग’ पर डालना चाहिए जहां उपराज्यपाल का सरकारी आवास है।

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पीठ ने कहा कि कचरे को घरेलू स्तर पर अलग-अलग करना महत्वपूर्ण काम है। पीठ ने प्राधिकारियों से कहा कि उन्हें न्यायालय को बताना चाहिए कि क्या इस संबंध में राजधानी में जागरूकता अभियान शुरू किया गया है या नहीं। पीठ ने पिंकी आनंद से कहा, ‘‘यह आपात स्थिति है और दुर्भाग्य से आपकी प्रतिक्रिया किसी समाधान की ओर इशारा नहीं कर रही है।

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पीठ ने इस तथ्य पर भी नाराजगी व्यक्त की कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र से रोजाना 3600 टन कचरा निकलता है और इसमें से 1800 टन कचरा लैंडफिल साइट पर डाला जाता है। अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने कहा कि प्राधिकारी इस संबंध में कदम उठा रहे हैं और दिसंबर, 2019 तक दक्षिण दिल्ली नगर निगम क्षेत्र से निकलने वाला सारा कचरा ऊर्जा और प्रसंस्करण संयंत्रों में भेजा जाने लगेगा।


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Yaspal

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