विकलांग हुआ तो क्या, Covid Vaccine का 'साइड इफेक्ट', SC का 'नो इफेक्ट'! कहा- मुआवजा चाहिए तो 'नीचे' जाओ
punjabkesari.in Tuesday, Apr 22, 2025 - 11:12 AM (IST)

नेशनल डेस्क। कोविड-19 वैक्सीन के दुष्प्रभावों से पीड़ित लोगों को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने वैक्सीन के कारण हुए नुकसान के खिलाफ दायर एक याचिका को स्वीकार करने में अनिच्छा दिखाई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि अगर वे मुआवजा चाहते हैं तो उन्हें निचली अदालत में क्षतिपूर्ति का मुकदमा दायर करना चाहिए।
याचिकाकर्ता प्रवीण कुमार के वकील ने कोर्ट से बार-बार याचिका स्वीकार करने का आग्रह किया लेकिन बेंच अपने रुख पर कायम रही। जस्टिस गवई ने साफ कहा कि अगर इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में लंबित रखा जाता है तो इस पर सुनवाई के लिए 10 साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है और याचिकाकर्ता को सिर्फ यही उम्मीद रहेगी कि उनका मामला शीर्ष अदालत में है। उन्होंने कहा कि मुकदमा दायर करने से याचिकाकर्ता को जल्द राहत मिलने की संभावना है शायद एक या दो साल में उन्हें कुछ मुआवजा मिल जाए।
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बेंच ने सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट कैसे स्वीकार कर सकता है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील पुरुषोत्तम शर्मा त्रिपाठी ने बताया कि वैक्सीन के नुकसान से जुड़ी दो ऐसी ही याचिकाएं पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं जिन पर समन्वय पीठों ने नोटिस जारी किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता विकलांग हो गया है और उसकी याचिका को उन लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा जा सकता है।
हालांकि बेंच ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि याचिका दायर करने से ज्यादा फायदा मुआवजा का मुकदमा दायर करने में होगा। बाद में याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के लिए समय मांगा, जिसके बाद बेंच ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
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यह याचिका केंद्र सरकार और कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ दायर की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि वैक्सीन लगने के बाद उनके दोनों पैरों में सौ प्रतिशत विकलांगता आ गई है। उन्होंने अपनी याचिका में इलाज के खर्च और मुआवजे के साथ-साथ देश में टीकाकरण खासकर कोविड वैक्सीन के बाद होने वाले बुरे प्रभावों के प्रभावी समाधान के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी करने की भी मांग की है।
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वहीं कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभावों से पीड़ित अन्य लोगों को भी मुआवजा पाने के लिए अब निचली अदालतों का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है।