रविदास मंदिर मामला: SC ने पक्षकारों से कहा- वैकल्पिक स्थान के लिए सर्वमान्य हल के साथ आएं

punjabkesari.in Friday, Oct 04, 2019 - 03:48 PM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरू रविदास के मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर संबंधित पक्षकारों से शुक्रवार को कहा कि वे मंदिर के लिए बेहतर जगह के लिए सर्वमान्य समाधान के साथ आएं। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने कहा कि वह सभी की भावनाओं का सम्मान करती है लेकिन कानून का पालन तो करना ही होगा। पीठ ने इस प्रकरण से जुड़े पक्षकारों को वैकल्पिक स्थान के बारे में सर्वमानय समाधान खोजने का निर्देश देते हुए इस मामले को 18 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया। 

न्यायालय के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। पीठ ने कहा कि अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल भी इस मामले में पेश हो रहे हैं और सभी पक्षकारों को बेहतर स्थान के बारे में सर्वमान्य समाधान खोजने के लिये विचार विमर्श करना चाहिए ताकि वहां पर मंदिर का निर्माण हो सके। इससे पहले, न्यायालय ने सवाल किया था कि उसके आदेश पर गिराए गए मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए संविधान के अनुच्छद 32 के तहत दायर याचिका पर कैसे विचार किया जा सकता है। यह याचिका दो पूर्व सांसदों-अशोक तंवर और प्रदीप जैन आदित्य- ने 27 अगस्त को दायर की थी। याचिका में उन्होंने अपने पूजा के अधिकार को लागू करने की अनुमति मांगी है।

उनका आरोप है कि तुगलकाबाद में मंदिर और समाधि गिराए जाने के कारण उन्हें इस अधिकार से वंचित किया जा रहा है। दोनों पूर्व सांसदों ने कहा था कि आस-पास के इलाके से अतिकमण हटाने के मामले में शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान अनेक तथ्य छुपाये गये थे। इसके साथ ही पूर्व सांसदों ने मंदिर के पुनर्निर्माण की अनुमति मांगते हु कहा था कि वह एक पवित्र स्थान है और वहां 500-600 सालों से पूजा अर्चना हो रही थी। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत के आदेश पर इस मंदिर को गिराया था। न्यायालय ने नौ अगस्त को टिप्पणी की थी कि गुरू रविदास जयंती समारोह समिति द्वारा पहले के आदेश के अनुरूप वन क्षेत्र खाली नहीं करके गंभीर उल्लंघन किया गया है।

मंदिर गिराए जाने की घटना के बाद दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में गुरू रविदास के अनुयायियों ने अनेक स्थानों पर प्रदर्शन किये थे। न्यायालय ने 19 अगस्त को इन इलाकों में प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक या किसी अन्य वजह से कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न नहीं हो। न्यायालय ने आगाह किया था कि विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग मंदिर गिराये जाने के मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं दें। 


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Edited By

Anil dev

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