महाकालेश्वर मंदिर कमेटी से 'सुप्रीम कोर्ट' नाराज, पूछा- कोर्ट का हवाला देकर नोटिस बोर्ड कैसे लगाया

punjabkesari.in Thursday, Nov 30, 2017 - 05:55 PM (IST)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के उस नोटिस बोर्ड पर खासी नाराजगी जाहिर की है, जिसमें लिखा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूजा के नियम बनाए गए हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ये आदेश कभी नहीं दिया कि धार्मिक अनुष्ठान कैसे किए जाएं और ना ही ये कहा कि भस्म आरती कैसे हो। इस पर कोर्ट ने नोटिस बोर्ड को तुरंत हटाने का आदेश दिया है।

अब गलत बयानबाजी की तो होगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कोर्ट को मंदिर और पूजा के रीति रिवाजों से कोई लेना देना नहीं है। कोर्ट ने ये मामला सिर्फ शिवलिंग की सुरक्षा के लिए सुना था और इसी वजह से एक्सपर्ट की कमेटी बनाई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर इस मामले में मीडिया गलत रिपोर्टिंग करता है या पक्षकार मीडिया में गलत बयानबाजी करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। 

कोर्ट का हवाला देकर कैसे बनाए नए नियम
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन से नाराजगी जताई थी और कहा इस मसले पर हमने कोई आदेश नहीं दिया तो सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर प्रबंधन कोई आदेश कैसे बना सकता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ये बेहद गंभीर मामला है। अदालत ने मंदिर प्रशासन से पूछा क्या ऐसा कोई बोर्ड मंदिर में लगा है जहां ये लिखा हुआ है कि मंदिर में पूजा के नए नियम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लागू किए गए।

सुप्रीम कोर्ट चलाएगी अवमानना का मुकदमा 
इस दौरान शीर्ष अदालत ने मंदिर प्रशासन को कहा कि बोर्ड की तस्वीर खींचकर तुरंत अदालत को दे, ताकि कोर्ट देख सके कि उसमें क्या लिखा है? कोर्ट ने ये भी कहा अगर ऐसा है तो हम जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाएंगे। कोर्ट ने नोटिस देखने के बाद ये आदेश जारी किए।

गौरतलब है कि 27 अक्तूबर को उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंदिर प्रशासन ने 8 प्रस्तावों दाखिल किए थे। इसमें शिवलिंग पर आरओ वॉटर चढ़ाने जैसे प्रमुख प्रस्ताव थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई, जियोलाजिकल और याचिकाकर्ता को आपत्ति या सुझाव देने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया था।


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