अंतरिक्ष में बढ़ती भयानक हलचल: चीन के अंतरिक्ष हथियारों की छाया में भारत! सेना बुन रहीखतरनाक जाल
punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 11:48 AM (IST)

नेशनल डेस्क: दुनिया में अंतरिक्ष की होड़ अब एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुकी है — और इस रेस में चीन बेहद आक्रामक अंदाज में आगे बढ़ रहा है। जहां अमेरिका ने इस तेजी से बढ़ती गतिविधियों को लेकर चिंता जताई है, वहीं चीन खुद को शांतिपूर्ण उद्देश्यों वाला देश बताता है। लेकिन सच्चाई यह है कि बीते कुछ वर्षों में चीन ने कई ऐसी तकनीकों को विकसित किया है जिनका उपयोग सीधे तौर पर सैन्य रणनीतियों में किया जा सकता है। आइए एक-एक करके समझते हैं कि चीन ने किस तरह से अंतरिक्ष क्षेत्र में एक मजबूत और बहुआयामी नेटवर्क खड़ा किया है:
1. बीडू: चीन का अपना GPS सिस्टम
चीन ने अमेरिकी GPS सिस्टम की टक्कर में अपना बीडू (BeiDou) नेविगेशन नेटवर्क तैयार किया है।
इसमें 60 से ज्यादा सैटेलाइट शामिल हैं और यह 2020 से पूरी तरह ऑपरेशनल है।
बीडू न केवल सिविल उपयोग के लिए है, बल्कि यह चीनी सेना को सटीक दिशा, पोजिशनिंग और मिसाइल गाइडेंस जैसी सेवाएं भी देता है।
खासतौर पर यह सिस्टम अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए बनाया गया है, खासकर बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट वाले देशों में।
2. लो-अर्थ ऑर्बिट इंटरनेट नेटवर्क – ‘चाइनीज स्टारलिंक’
स्पेसएक्स के स्टारलिंक की तरह चीन भी अपना G60 स्टारलिंक या ‘कियानफैन’ नेटवर्क तैयार कर रहा है।
इसका लक्ष्य है 14,000 उपग्रहों का एक ब्रॉडबैंड सिस्टम खड़ा करना, जिसकी मदद से चीन डिजिटल कम्युनिकेशन में आत्मनिर्भर बन सके।
अब तक लगभग 90 उपग्रह छोड़े जा चुके हैं और 2030 तक नेटवर्क को पूरा करने की योजना है।
इस नेटवर्क का उपयोग विशेष रूप से युद्ध के समय ड्रोन और सैन्य यूनिट्स के सुरक्षित कम्युनिकेशन के लिए हो सकता है।
3. 510 से ज्यादा जासूसी उपग्रह
चीन के पास अब लगभग 510 ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकॉनिसेंस) सक्षम सैटेलाइट हैं।
यह संख्या चीन के कुल 1,000+ सैटेलाइटों में से आधे से भी ज्यादा है।
इन उपग्रहों का इस्तेमाल जमीन, समुद्र और अंतरिक्ष में निगरानी के लिए किया जा रहा है।
इनमें से कई ‘याओगन’ रिमोट सेंसिंग उपग्रह हैं, जो बहुत ही उच्च क्षमता से निगरानी करने में सक्षम हैं।
4. उपग्रह पकड़ने वाले रोबोटिक हथियार
चीन के शिजियान-17 उपग्रह को लेकर अमेरिका की चिंता काफी बढ़ गई है क्योंकि इसमें रोबोटिक हाथ लगे हैं।
ये हथियार अन्य उपग्रहों को पकड़ने या उन्हें नुकसान पहुंचाने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
यह तकनीक ‘सैटेलाइट जैमिंग’ और स्पेस इंटरसेप्शन जैसे टूल्स के लिए बेहद खतरनाक मानी जा रही है।
5. अंतरिक्ष में ईंधन भरना – नया मोर्चा
चीन अब अंतरिक्ष में एक उपग्रह से दूसरे में ईंधन भरने का मिशन लॉन्च करने जा रहा है।
यह तकनीक बहुत कम देशों के पास है और इससे अंतरिक्ष मिशनों की लंबी उम्र और रीयूजेबिलिटी सुनिश्चित होती है।
अमेरिकी एजेंसियां इस पर कड़ी नजर रख रही हैं क्योंकि इससे चीन को लॉन्ग-टर्म स्पेस डॉमिनेशन में बढ़त मिल सकती है।
6. एंटी-सैटेलाइट मिसाइलें: अंतरिक्ष में हमला
2007 में चीन ने एक प्रत्यक्ष-आरोहण (Direct-Ascent) एंटी-सैटेलाइट मिसाइल टेस्ट कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था।
इस मिसाइल ने एक निष्क्रिय मौसम उपग्रह को सीधे टारगेट कर नष्ट कर दिया था।
इस घटना ने यह साफ कर दिया कि चीन अब स्पेस वॉरफेयर की तैयारी में भी पीछे नहीं है।