त्वचा का काला पड़ना है खतरे की घंटी, हो सकता है इस गंभीर बिमारी का लक्षण
punjabkesari.in Wednesday, Dec 17, 2025 - 05:10 PM (IST)
नेशनल डेस्क : स्किन पर अचानक बदलाव केवल कॉस्मेटिक समस्या नहीं होते, बल्कि शरीर में चल रही किसी गंभीर परेशानी का संकेत भी हो सकते हैं। हाल ही में हुई रिसर्च में पाया गया है कि एकैंथोसिस नाइग्रिकन्स (Acanthosis Nigricans – AN) नामक त्वचा की स्थिति युवाओं में टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम से जुड़ी हो सकती है। स्टडी में ऐसे युवा शामिल किए गए जो ओवरवेट थे और जिनकी त्वचा पर AN के लक्षण मौजूद थे।
रिसर्च के नतीजे
स्टडी में यह देखा गया कि जिन युवाओं में AN था, उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा उन मोटे लोगों की तुलना में लगभग दोगुना था, जिनमें AN नहीं था। इसके अलावा, इन लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस का मुख्य कारण AN ही पाया गया। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के डेटा में यह भी सामने आया कि गर्दन के आसपास AN की गंभीरता सीधे फास्टिंग इंसुलिन लेवल और इंसुलिन रेजिस्टेंस टेस्ट से जुड़ी थी। ऐसे मामलों में डॉक्टर ब्लड शुगर और इंसुलिन टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।
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बी12 की कमी और अन्य कारण
हर बार त्वचा का काला पड़ना डायबिटीज से जुड़ा नहीं होता। कुछ मामलों में यह विटामिन B12 की कमी से भी हो सकता है। B12 की कमी से थकान, हाथ-पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट, जीभ में दर्द और त्वचा का पीला पड़ना जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। इसके अलावा, कोहनी और घुटनों का कालापन लंबे समय तक दबाव या रगड़ की वजह से भी हो सकता है।
एक्सपर्ट्स की सलाह
त्वचा विशेषज्ञों के अनुसार, लैक्टिक एसिड और यूरिया युक्त क्रीम को नियमित इस्तेमाल करने से त्वचा की ऊपरी परत एक्सफोलिएट होती है और रंग हल्का पड़ सकता है। इसके साथ मॉइश्चराइजिंग और कोहनी/घुटनों पर लगातार दबाव से बचना जरूरी है। यदि त्वचा में सूजन वाली बीमारी (एक्जिमा, सोरायसिस, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस) हुई हो, तो पहले उसका इलाज करें और फिर मॉइश्चराइज़र व सन प्रोटेक्शन अपनाएं।
कब डॉक्टर से संपर्क करें
अगर त्वचा का कालापन तेजी से फैलने लगे, मोटा या खुजलीदार हो, या वजन कम होना, कमजोरी, पेट दर्द जैसे लक्षण साथ में दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कुछ दुर्लभ मामलों में AN गंभीर रूप से उभरना अंदरूनी कैंसर का संकेत भी हो सकता है, खासकर बुजुर्गों में। CDC के अनुसार, AN डायबिटीज से जुड़ी आम त्वचा स्थिति है। इसलिए जिन लोगों में इसके लक्षण दिखें, उन्हें समय रहते ब्लड शुगर और इंसुलिन रेजिस्टेंस की जांच कराना जरूरी है।
