सिंधु समझौता : बूंद-बूंद पानी हासिल करने की तैयारी में भारत

punjabkesari.in Sunday, Dec 11, 2016 - 03:03 PM (IST)

नई दिल्ली : भारत जल्द ही सिंधु जल समझौते के तहत पश्चिमी नदियों के पानी में अपने पूरे हिस्से का इस्तेमाल करने की तैयारी में है। यह फैसला भारत-पाकिस्तान की भूराजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है। इसके तहत भारत अगले साल चिनाब नदी पर पनबिजली प्रोजैक्ट भी शुरू कर देगा। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में पंजाब के बठिंडा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि एक-एक बूंद पानी रोककर भारत के किसानों तक पहुंचाया जाएगा।

लंबित प्रोजैक्ट पूरा करने की तैयारी 
हालांकि इस चिनाब प्रोजैक्ट से पहले सरकार स्वालकोट (1,856 मेगावॉट), पाकुल दुल (1,000 मेगावॉट) और बुरसर (800 मेगावॉट) प्रोजैक्ट को शुरू करेगी। चेनाब, झेलम नदियों पर बांध बनाना बहुत बड़ा और मुश्किल काम माना जाता है, लेकिन ये प्रोजैक्ट्स पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिहाज से शुरू किए जा रहे हैं। एक अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार सभी जमीनी स्तर के काम के लिए लगातार जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ संपर्क में है।

स्वालकोट प्रोजैक्ट के तहत चेनाब नदी पर 193 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा जिससे 1,856 मेगावॉट बिजली उत्पादन होने का अनुमान है। इसे 2 चरणों में पूरा किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि भारत अब सिंधु के ज्यादा से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करना चाहता है। इसीलिए अब तक सिंधु से जुड़े लंबित प्रोजैक्ट्स को जल्द से जल्द पूरा किया जाने की तैयारी की जा रही है। साल 1960 के सिंधु जल समझौते के तहत भारत पश्चिमी नदियों के पानी को भी अपने इस्तेमाल के लिए रोक सकता है। इसकी सीमा 36 लाख एकड़ फीट रखी गई है।


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