पूर्व कानून मंत्री बोले- सरकार स्वतंत्रता के अंतिम स्तंभ ‘न्यायपालिका'' पर कब्जा करना चाहती है सरकार
punjabkesari.in Sunday, Jan 15, 2023 - 09:31 PM (IST)

नई दिल्लीः राज्यसभा सदस्य और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को आरोप लगाया कि सरकार न्यायपालिका पर ‘‘कब्जा'' करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी स्थिति बनाने की पूरी कोशिश कर रही है, जिसमें एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में ‘दूसरे स्वरूप' में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का परीक्षण किया जा सके। कपिल सिब्बल (74) ने मौजूदा समय में केशवानंद भारती के फैसले के बुनियादी ढांचे के सिद्धांत को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए सरकार को खुले तौर पर यह कहने की चुनौती दी कि यह (निर्णय) त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने दावा किया कि सरकार इस तथ्य से सामंजस्य नहीं बिठा पा रही है कि उच्चतर न्यायपालिका की नियुक्तियों में उसकी बात अंतिम नहीं है। सिब्बल ने ‘पीटीआई-भाषा' के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘वे (सरकार) ऐसी स्थिति बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिसमें एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में ‘दूसरे स्वरूप' में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का परीक्षण किया जा सके।''
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उस हालिया टिप्पणी के बाद सिब्बल की यह प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनजेएसी को रद्द करने के फैसले की आलोचना की थी। धनखड़ ने 1973 के केशवानंद भारती मामले के ऐतिहासिक फैसले पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा था कि इस फैसले ने एक गलत मिसाल कायम की और वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असहमत हैं कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन इसकी मूल संरचना में नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने एनजेएसी अधिनियम को 2015 में असंवैधानिक करार दिया था, जिसका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को बदलना था।
धनखड़ की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, ‘‘जब एक उच्च संवैधानिक प्राधिकारी और कानून के जानकार व्यक्ति, इस तरह की टिप्पणी करते हैं, तो सबसे पहले यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या वह (अपनी) व्यक्तिगत राय पेश कर रहे हैं या सरकार की ओर से बोल रहे हैं।'' वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे नहीं पता कि वह किस हैसियत से बोल रहे हैं,…सरकार को इसकी पुष्टि करनी होगी। अगर सरकार सार्वजनिक रूप से कहती है कि वह उनके विचारों से सहमत है, तो इसका एक अलग अर्थ है।''
‘केशवानंद भारती' मामले के फैसले पर राज्यसभा के सभापति की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा कि अगर यह उनकी निजी राय है तो उन्हें अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। हालांकि, सिब्बल ने न्यायपालिका और कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ कानून मंत्री किरेन रीजीजू की आलोचनात्मक टिप्पणियों को लेकर उन पर जोरदार हमला बोला और कहा कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण'' और ‘‘गंभीर चिंता का विषय'' है।
सिब्बल ने कहा, ‘‘मैं पहले भी कह चुका हूं कि कानून मंत्री शायद अदालतों के कामकाज से वाकिफ नहीं हैं और न ही वह अदालती प्रक्रियाओं से वाकिफ हैं। वह शायद धारणाओं और अधूरे तथ्यों के आधार पर इस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं, लेकिन जो भी हो, सार्वजनिक रूप से इस तरह के बयान देना अनुचित है।'' सिब्बल ने आरोप लगाया कि सरकार का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है और वह उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के अधिकार पर ‘‘कब्जा'' करना चाहती है और यह भी चाहती है कि इस संबंध में उसकी बात अंतिम हो। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अगर वे (सरकार) ऐसा करने में कामयाब होते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा। वैसे भी तमाम संस्थानों पर उनका कब्जा हो गया है। न्यायपालिका स्वतंत्रता का अंतिम स्तंभ है। यदि उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर अंतिम निर्णय सरकार पर छोड़ दिया जाता है, तो वे इन संस्थानों को ऐसे व्यक्तियों से भर देंगे, जिनकी विचारधारा सत्ताधारी राजनीतिक दल से जुड़ी हुई होगी।''
सिब्बल ने कहा कि ‘‘लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के हमारे क्षेत्र में चीन की घुसपैठ'', आसन्न वैश्विक मंदी, निजी निवेश में वृद्धि का अभाव और घरेलू बचत दरों के ‘‘ऐतिहासिक निम्न'' स्तर पर रहने के मद्देनजर देश ‘‘बड़ी मुश्किल'' में है। सिब्बल ने आरोप लगाया, ‘‘पर्यावरण, शिक्षा और स्वास्थ्य सहित देश के लोगों से संबंधित वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, सरकार विभाजनकारी ताकतों को प्रोत्साहित कर रही है, जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद कर देगी।'' सिब्बल ने कहा कि ऐसे समय में उच्चतर न्यायपालिका पर हमला ‘‘असामयिक और गलत मंशा से प्रेरित'' है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान सर्वोच्च है, क्योंकि न्यायिक समीक्षा की शक्ति न्यायपालिका के पास है।