भारत का अंतरिक्ष मिशन: शुभांशु शुक्ला की उड़ान से चंद्रयान-3 तक अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों को छूता देश
punjabkesari.in Saturday, Jul 19, 2025 - 07:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम मिशन-4 (Ax-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा की, जिससे वे राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए। यह मिशन भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान यात्रा के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है।
पहली बार किसी भारतीय की एक्सिओम मिशन में भागीदारी
39 वर्षीय शुक्ला, एक अनुभवी परीक्षण पायलट हैं और इसरो के गगनयान मिशन के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं। उन्होंने रूस के यूरी गगारिन कॉसमोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कड़ा प्रशिक्षण लिया। इस मिशन के तहत उन्होंने "मायोजेनेसिस" नामक वैज्ञानिक प्रयोग में भाग लिया, जिसमें सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) में मांसपेशियों के क्षरण का अध्ययन किया गया। इसका मकसद अंतरिक्ष यात्रियों और धरती पर मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए उपचार के उपाय खोजना है।
प्रधानमंत्री से संवाद और छात्रों को प्रेरणा
अंतरिक्ष से ही ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लाइव बातचीत की और छात्रों के साथ हैम रेडियो के ज़रिए संवाद किया। यह कदम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में नई पीढ़ी को प्रेरित करने की दिशा में महत्वपूर्ण रहा।
गगनयान की तैयारी की दिशा में मजबूत कदम
Ax-4 मिशन भारत के पहले स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की ओर एक रणनीतिक कदम था, जिसे 2027 में लॉन्च किया जाना है। इसकी सफलता ने भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को और मजबूत किया है। यह मिशन लगभग 548 करोड़ रुपये में पूरा किया गया।
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता
इससे पहले 23 अगस्त 2023 को भारत ने चंद्रयान-3 के ज़रिए इतिहास रच दिया था। भारत, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बना और अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया।
चंद्रयान-2 के आंशिक असफलता के बाद इसरो ने उससे सीखे गए सबक को आधार बनाकर चंद्रयान-3 को तैयार किया। उस मिशन के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में अहम भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों का मनोबल बनाए रखा और पूरी दुनिया को दिखाया कि भारत हर चुनौती से सीखकर आगे बढ़ता है।
सौर मिशन ‘आदित्य-L1’ और अन्य उपलब्धियां
भारत का पहला सौर मिशन 'आदित्य-L1' भी एक बड़ा कदम रहा, जो मात्र 378 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया। इसका उद्देश्य सूर्य की बाहरी परतों और वातावरण का अध्ययन करना है। वहीं, 2017 में इसरो ने एक और रिकॉर्ड बनाते हुए एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च किए थे, जिनमें से 101 विदेशी थे। यह भारत की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष बाजार में मजबूत होती स्थिति को दर्शाता है।
आत्मनिर्भरता और तकनीकी विकास
एक समय था जब भारत को क्रायोजेनिक तकनीक देने से मना कर दिया गया था, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और खुद ही यह तकनीक विकसित की। आज भारत अपनी स्वदेशी तकनीक से कई उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम है। भारत का मशहूर मंगल मिशन 'मंगलयान' महज 75 मिलियन डॉलर की लागत में पूरा हुआ, जो कि किसी हॉलीवुड फिल्म 'इंटरस्टेलर' से भी सस्ता था