श्रृंगला ने समुद्री चुनौतियों के खिलाफ भारत-जर्मन सहयोग को बढ़ावा देने का किया आह्वान

punjabkesari.in Saturday, Jan 22, 2022 - 03:10 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को मजबूती देने  के लिए जर्मनी सहित भारत के यूरोपीय भागीदारों के बीच बढ़ती रुचि विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने स्वागत किया है। श्रृंगला ने कहा कि प्रशांत क्षेत्र में बहुपक्षवाद और कानून के शासन को मजबूत करना नई दिल्ली और बर्लिन की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि समुद्री चुनौतियों के खिलाफ क्षमता निर्माण में संयुक्त प्रयासों के माध्यम से क्षेत्र में सुरक्षा मुद्दों को शामिल करने के लिए सहयोग के लिए दोनों देशों के बीच प्रयासों को व्यापक बनाया जा सकता है।

 

श्रृंगला ने शुक्रवार को  "इंडो-प्रशांत में भारत-यूरोपीय/जर्मन सहयोग के लिए संभावित" विषय पर आयोजित  संगोष्ठी में कहा कि "हम जर्मनी में नई गठबंधन सरकार की वैश्विक मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्धता को देखकर खुश हैं। इंडो-पैसिफिक पर जर्मनी के दिशानिर्देशों में पहचानी गई प्राथमिकताएं, विशेष रूप से बहुपक्षवाद को मजबूत करना, कानून और लोकतंत्र का शासन, जलवायु संरक्षण, व्यापार और डिजिटलीकरण, हमारे हितों के साथ निकटता से मेल खाते हैं।

 

यह वर्चुअल संगोष्ठी ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन और कोनराड-एडेनॉएर-स्टिफ्टंग के भारत कार्यालय द्वारा इंडो-पैसिफिक की ओर यूरोपीय और जर्मनी की धुरी के प्रतीक के रूप में मुंबई में जर्मन फ्रिगेट बायर्न के आगमन को चिह्नित करने के लिए आयोजित की गई थी। इस आभासी संगोष्ठी के दौरान श्रृंगला ने यह भी कहा कि हम समुद्री डकैती और अन्य समुद्री चुनौतियों के खिलाफ आगे बढ़ते हुए संयुक्त प्रयासों   से क्षेत्र में सुरक्षा मुद्दों के लिए सहयोग को बढ़ा सकते हैं।"   श्रृंगला ने कहा कि सूचनाओं के नियमित आदान-प्रदान, आपसी क्षमता-निर्माण के प्रयासों, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा कर आपसी सहयोग को बढ़ाया जा सकता है।

 

 श्रृंगला ने कहा, "भारत इस साल तीसरे "नो मनी फॉर टेरर" सम्मेलन की मेजबानी करेगा, और हम इस महत्वपूर्ण पहल में जर्मनी की भागीदारी की आशा करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक सिर्फ एक भौगोलिक निर्माण नहीं है, बल्कि वैश्विक राजनीति और वैश्विक अर्थशास्त्र का नया केंद्र । उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह क्षेत्र सदियों से ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, समुद्री और आर्थिक संबंधों  के कारण विशेष महत्व रखता है।"

 


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Content Writer

Tanuja

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