''शरद पवार ने NCP अध्यक्ष पद से क्यों दिया था इस्तीफा?'', बेटी सुप्रिया सुले ने खोला राज
punjabkesari.in Thursday, Oct 12, 2023 - 09:03 PM (IST)

नेशनल डेस्कः राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जाने की कुछ पार्टी नेताओं की जिद के चलते मई में शरद पवार ने NCP अध्यक्ष पद छोड़ देने की चौंकाने वाली घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि ‘पवार साहेब' कभी अपना इस्तीफा नहीं देना चाहते थे। वह NCP के अजित पवार नीत धड़े से जुड़े नेता एवं महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल के इस दावे के बारे में पूछे गये सवाल का जबाव दे रही थीं कि पार्टी में यह तय किया गया था कि शरद पवार इस्तीफा देंगे।
भुजबल ने एक मराठी चैनल को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘शरद पवार भाजपा के साथ जाने के लिए तैयार नहीं थे। यह फैसला किया गया कि वह इस्तीफा देंगे और सुले को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाए ताकि NCP भाजपा के साथ हाथ मिला सके और सरकार का हिस्सा बन सके।'' यह साक्षात्कार बुधवार को प्रसारित किया गया। सभी को चौंकाते हुए शरद पवार ने दो मई को कहा था कि वह NCP के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने स्तब्ध पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध एवं सामूहिक इस्तीफे के बाद यह निर्णय वापस लिया था। उन्होंने ही 1999 में NCP बनाई थी और तब से पार्टी की बागडोर उन्हीं के हाथों में है।
सुले ने कहा कि उनके पिता कभी NCP अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब पार्टी में सभी ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने पर जोर डाला तब पवार साहेब आहत हुए। उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया। मीडिया ने सोचा कि यह ड्रामा है लेकिन यह हमारे लिए हकीकत थी। बाद में राज्य से पार्टी कार्यकर्ताओं ने पवार साहेब से अध्यक्ष पद पर बने रहने की अपील की।''
बारामती की सांसद सुले ने कहा कि शरद पवार ने एक समिति गठित करने का सुझाव दिया जो यह तय करती कि अगला NCP अध्यक्ष कौन होगा लेकिन यह भुजबल ही थे जिन्होंने इस विचार को खारिज कर दिया और पार्टी संस्थापक से पद पर बने रहने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘यदि उन्होंने खुद ही अगले (NCP) अध्यक्ष पर विचार करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया तो क्या आप उन्हें ‘तानाशाह' कहेंगे? (यदि वह तानाशाह होते तो) उन्होंने आदेश दिया होता कि अमुक व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाए।''
सुले छह अक्टूबर को चुनाव आयोग के समक्ष अजित पवार धड़े द्वारा दिये गये इस बयान का जिक्र कर रही थीं कि शरद पवार ने अलोकतांत्रिक तरीके से NCP को चलाया और उसे अपने जागीर समझा। सुले ने कहा कि भुजबल ने अपने साक्षात्कार के दौरान चार बार शरद पवार के इस बयान को दोहराया कि ‘‘जो लोग भाजपा के साथ जाना चाहते हैं, वे जा सकते हैं, लेकिन वह नहीं जायेंगे।'' उन्होंने कहा कि शरद पवार को दो जुलाई को अजित पवार एवं आठ अन्य NCP नेताओं के शपथ ग्रहण के बारे में पहले से पता नहीं था।
सुले ने दावा किया , ‘‘(एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली भाजपा शिवसेना गठबंधन सरकार में शामिल होने का) फैसला उन्हें (शरद पवार को) अंधेरे में रखकर किया गया।'' जब सुले से पूछा गया कि क्या उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव था, तो उनका जवाब ‘हां' में था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस प्रस्ताव ने मुझे परेशान कर दिया क्योंकि यदि मैं अध्यक्ष बन जाती तो पार्टी को पहला निर्णय भाजपा के साथ जाने का लेना था। लेकिन उसे अमल में लाना मेरे लिए असंभव होता।'' उन्होंने कहा कि अपनी विचारधारा और पिता की राय के विरुद्ध समझौता कर पाना उनके लिए संभव नहीं है।