पिता भारत में केंद्रीय मंत्री, बेटा पाक सेना में बड़ा अफसर व भतीजा ISI प्रमुख

punjabkesari.in Wednesday, Feb 20, 2019 - 05:38 PM (IST)

इंटरनैशनल डैस्कः इस समय जब पुलवामा हमले को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, एक ऐसे बाप-बेटे की बात उठने लगी है जो  दोनों देशों में अहम् पदों पर विराजमान रहे। यहां बात हो रही है जनरल शाह नवाज खान और उनके बेटे महमूद नवाज अली की। जनरल शाह नवाज खान आजाद हिंद फौज के बड़े अफसर थे । वो पाकिस्तान (तब अविभाज्य भारत) के रावलपिंडी जिले के मटोर गांव में पैदा हुए थे। पढ़ाई भी वही हुई। बाद में वह ब्रिटिश सेना में कैप्टेन बनेलेकिन असल में तब चर्चा में आए जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए।वहां नेताजी के करीबी लोगों में रहने के साथ आजाद हिंद फौज में मेजर जनरल थे। जब आजाद हिन्द फौज ने समर्पण किया, तब ब्रिटिश सेना ने उन्हें पकड़कर लाल किले में डाल दिया।

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प्रसिद्ध लाल किला पर कोर्ट मार्शल ट्रॉयल हुआ। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनके लिए वकालत की।आज़ाद हिन्दुस्तान में लाल किले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज ही थे। आज भी लालकिले में रोज़ शाम छह बजे लाइट एंड साउंड का जो कार्यक्रम होता है, उसमें नेताजी के साथ शाहनवाज की आवाज़ है। शाहनवाज खान का पूरा परिवार रावलपिंडी में ही रहता था। उनके तीन बेटे और तीन बेटियां थीं। आजादी के समय जब देश का बंटवारा हुआ तो वो हिन्दुस्तान से मोहब्बत के चलते यहां आ गए।उनका परिवार यहां नहीं आया। बस वो अपने एक बेटे के साथ भारत आ गए। जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में भी शामिल किया। वो लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री रहे। 1956 में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के कारणों और परिस्थितियों के खुलासे के लिए एक कमीशन बनाया था, इसके अध्यक्ष भी जनरल शाहनवाज खान ही थे।
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शाह नवाज चार बार मेरठ से सांसद चुने गए। उनके जीवन में एक अजीब सी बात हुई. जब भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध छिड़ा तो शाहनवाज तब लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में कृषि मंत्री थे। अचानक ये खबर फैलने लगी कि उनका बेटा पाकिस्तानी सेना की ओर से भारत के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा ले रहा है। उनके इस बेटे का नाम महमूद नवाज अली था. वो बाद में पाकिस्तानी सेना में बड़े पद तक भी पहुंचा। ये बात देश में आग की तरह फैली तो विपक्ष ने उनसे इस्तीफा मांग लिया। वह सियासी दलों और संगठनों के निशाने पर आ गए. शाहनवाज इतने दबाव में आ गए कि इस्तीफा देने का मन बना लिया । देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पर उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने का दबाव पड़ने लगा। तब शास्त्री ने न केवल उनका बचाव किया बल्कि इस्तीफा लेने से भी मना कर दिया। शास्त्री ने विपक्ष से भी दो टूक कह दिया कि वो कतई इस्तीफा नहीं देंगे। अगर उनका बेटा दुश्मन देश की सेना में बड़ा अफसर है तो इसमें भला उनकी क्या गलती ।
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बताने योग्य है कि वैसे आज भी शाहनवाज परिवार के लोग पाकिस्तान में ऊंचे पदों पर हैं। जब तक महमूद नवाज पाकिस्तानी सेना में रहे, तब तक अपने पिता से कभी नहीं मिल सके, क्योंकि सेना का नियम उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता था लेकिन रिटायरमेंट के बाद वो पिता से मिलने जरूर भारत आए। कुछ साल पहले पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख बने लेफ्टिनेंट जनरल जहीर उल इस्लाम उनके सगे भतीजे थे। शाहनवाज के भाई खुद पाकिस्तानी सेना में ब्रिगेडियर पद तक पहुंचे थे। 983 में शहनवाज खान का 69 साल की उम्र में नई दिल्ली में निधन हो गया। अब उनकी याद में बनाया गया जनरल शाहनवाज मेमोरियल फाउंडेशन गरीब बच्चों की पढाई लिखाई में मदद करता है। इस फाउंडेशन का मुख्यालय नई दिल्ली के जामिया मिलिया इलाके में है ।
 


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Tanuja

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