शाहजहां ने दी थी शाही इमाम की पदवी :बुखारी

punjabkesari.in Monday, May 21, 2018 - 10:40 PM (IST)

नई दिल्लीः जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी ने मस्जिद में अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने के फैसले का बचाव करते हुए सोमवार को हाईकोर्ट में कहा कि यह पदवी पहले इमाम को मुगल बादशाह शाहजहां ने दी थी और और वर्षों से उनके परिवार के लोग ही इमाम बनते आए हैं और यह कभी किसी कानून के साथ विवाद में नहीं रहा।

बुखारी ने दावा किया कि बादशाह ने कहा था कि जामा मस्जिद में इमाम बनने का सिलसिला पहले इमाम के परिवार के अधिकार में ही होगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ के समक्ष दायर हलफनामा में बुखारी ने कहा, शाही इमाम की पदवी मुगल बादशाह शाहजहां ने जामा मस्जिद के पहले इमाम (हजरत सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी) को दी थी और उन्होंने यह भी कहा था कि जामा मस्जिद में शाही इमाम बनने का सिलसिला सिर्फ इस परिवार के साथ रहेगा। ’

बुखारी जामा मस्जिद के 13वें इमाम हैं
उन्होंने कहा, जैसा कि यह एक प्रथा और चलन है और वर्षों से यह किसी कानून के साथ विवाद की स्थिति में नहीं रहा है इसलिए किसी को जामा मस्जिद के इमाम को शाही इमाम की पदवी धारण करने का प्रतिरोध नहीं करना चाहिए।’’  बुखारी जामा मस्जिद के 13 वें इमाम हैं और वह सुहैल अहमद खान , अजय गौतम और वकील वी के आनंद की याचिकाओं का जवाब दे रहे थे। इन याचिकाओं में कहा गया था कि जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति है और इसके कर्मचारी के तौर पर बुखारी अपने बेटे को नायब इमाम (उप इमाम) नहीं बना सकते हैं।

हालांकि बुखारी का दावा है कि जामा मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है , यह वक्फ संपत्ति है जिसका मालिकाना हक अल्लाह के पास है और न तो वह खुद और न ही उनसे पहले वाले शाही इमाम दिल्ली वक्फ बोर्ड के कर्मचारी थे।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Yaspal

Recommended News

Related News