10 तस्वीरों में देखें रतन टाटा का पूरा जीवन, विमान उड़ाने का था शौक
punjabkesari.in Thursday, Oct 10, 2024 - 12:55 PM (IST)
नेशनल डेस्क. भारत के प्रसिद्ध बिजनेसमैन और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा बुधवार देर शाम इस दुनिया को अलविदा कह गए। 86 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। रतन टाटा को उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका जीवन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। उन्होंने अपनी कंपनी में कर्मचारी बनकर काम किया और अपने व्यवसाय से होने वाली आमदनी का 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा दान में दिया। इस वजह से वे देश के सबसे बड़े दानवीरों में शामिल हुए। यही नहीं उन्होंने अपनी काबिलियत की दम पर जिस बिजनेस को छुआ उसे सोना बना दिया और कई लोगों की किस्मत भी बदली। आइए 10 तस्वीरों में जानते हैं उनके जीवन की झलक...
दादी ने किया पालन-पोषण
दिवंगत रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उनका बचपन सामान्य नहीं रहा, क्योंकि 1948 में उनके माता-पिता अलग हो गए थे। इसके बाद रतन टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया।
शिक्षा और करियर की शुरुआत
रतन टाटा ने अपनी शुरुआती शिक्षा के बाद अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान उन्होंने लगभग दो साल तक लॉस एंजेलेस में जोन्स और इमन्स नामक कंपनी में काम किया। 1962 के अंत में अपनी दादी की तबीयत खराब होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया।
प्यार और निजी जीवन
रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की, लेकिन उन्होंने एक इंटरव्यू में अपनी लव लाइफ के बारे में बताया कि उनकी जिंदगी में प्यार ने चार बार दस्तक दी। हालांकि, ये रिश्ते शादी तक नहीं पहुंच सके। उनकी एक प्रेमिका अमेरिका में थी, लेकिन जब वे भारत लौटे, तो उनकी प्रेमिका ने भारत आने से इंकार कर दिया। उस समय भारत-चीन युद्ध भी चल रहा था, जिसके चलते स्थिति और जटिल हो गई। अंततः उनकी प्रेमिका ने अमेरिका में किसी और से शादी कर ली।
टाटा स्टील से करियर की शुरुआत
रतन टाटा ने अमेरिका से लौटने के बाद अपने पारिवारिक बिजनेस ग्रुप टाटा के साथ करियर की शुरुआत की। उन्होंने टाटा स्टील में एक सामान्य कर्मचारी के रूप में काम करना शुरू किया। यहां उन्होंने चूना पत्थर को भट्ठियों में डालने जैसे काम किए और बिजनेस की बारीकियां सीखी। टाटा स्टील में काम करने के बाद 1991 में रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की कमान संभाली, जिससे टाटा कंपनियों का नया युग शुरू हुआ।
कारोबार का वैश्विक विस्तार
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने तेजी से वैश्विक विस्तार किया। उन्होंने टाटा टी, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील जैसी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया। आज ये कंपनियां लाखों लोगों को रोजगार देती हैं और बड़े पैमाने पर कारोबार करती हैं।
JRD टाटा के बाद योग्य उत्तराधिकारी
जब टाटा ग्रुप में JRD टाटा का उत्तराधिकारी चुनने का समय आया, तो रतन टाटा सबसे योग्य व्यक्ति माने गए। उन्होंने समूह की कमान संभालने के बाद अपनी क्षमताओं को साबित किया।
सरकारी सम्मान
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने तेजी से प्रगति की और उनकी मेहनत के कारण उन्हें भारत सरकार की ओर से कई सम्मान मिले। 2000 में उन्हें पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
देश की लखटकिया कार: टाटा नैनो
रतन टाटा ने भारत के आम आदमी के लिए एक लाख रुपए में कार खरीदने का सपना देखा और उसे पूरा किया। उन्होंने 2008 में टाटा नैनो को बाजार में उतारा, हालांकि यह कार उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।
डॉग लवर
रतन टाटा को 'डॉग लवर' के रूप में भी जाना जाता था। उन्होंने आवारा जानवरों के प्रति गहरी चिंता दिखाई और सोशल मीडिया पर कुत्तों के साथ अपनी तस्वीरें साझा कीं। इस साल उन्होंने दक्षिण मुंबई में एक बड़ा पशु अस्पताल खोला।
कारों के शौकीन
रतन टाटा केवल टाटा मोटर्स पर ही ध्यान नहीं देते थे, बल्कि वे लग्जरी कारों के भी शौकीन थे। उनके पास एक से बढ़कर एक कारों का संग्रह था।
विमान उड़ाने का था शौक
रतन टाटा का जीवन सादगी से भरा था, लेकिन उन्हें पियानो बजाना, लग्जरी कारों और विमान उड़ाने का भी शौक था। वे 2007 में F-16 फाल्कन उड़ाने वाले पहले भारतीय बने।