...क्योंकि आपने पूरे देश को बंद कर दिया था' : SC ने EMI ब्याज पर छूट मामले में केंद्र को फटकारा

punjabkesari.in Wednesday, Aug 26, 2020 - 06:34 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बैंक ऋण पर लॉकडाउन की अवधि के बकाये मासिक किस्त (ईएमआई) की ब्याज पर रोक संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार के ‘दो कदम आगे और चार कदम पीछे' वाले रवैये के लिए बुधवार को उसे कड़ी फटकार लगाई और कहा कि सरकार इस मामले में रिजर्व बैंक की आड़ न ले। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र आरबीआई की आड़ लेना छोड़े और अपना रुख स्पष्ट करे।

खंडपीठ ने कहा, ‘‘आप (केंद्र सरकार) अपना रुख स्पष्ट करें। आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कदम उठाना आपकी जिम्मेदारी है। आपके पास पर्याप्त अधिकार हैं। आप केवल आरबीआई पर निर्भर नहीं रह सकते।'' खंडपीठ ने केंद्र सरकार को उस वक्त फटकार लगाई जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बैंकिंग संस्थान भी परेशान हैं। इस पर खंडपीठ काफी नाराज हो गई।

अदालत ने कहा, ‘‘यह केवल व्यावसायिक हितों का ध्यान रखने का समय नहीं है, बल्कि आपको लोगों की दुर्दशा पर भी विचार करना चाहिए।'' सॉलिसिटर जनरल ने हलफ़नामा दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा, जिसे उसने मान लिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए एक सितम्बर की तारीख मुकरर्र की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव दत्त ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से बार-बार सुनवाई टालने की मांग की जा रही है, अभी तक कोई भी हलफनामा नहीं दाखिल किया गया है, न केंद्र, न आरबीआई की ओर से।

न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि सरकार को आपदा प्रबंधन अधिनियम पर अपना रुख बताना होगा और यह भी बताना होगा कि क्या ब्याज पर ब्याज का हिसाब किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि यह केवल व्यवसाय के बारे में सोचने का समय नहीं है। गौरतलब है कि यह मामला उस याचिका से संबंधित है, जिसमें आरबीआई से अनिवार्य लोन मोराटोरियम के दौरान छूट की मांग की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि लोन मोराटोरियम एक निरर्थक कोशिश हैं, क्योंकि बैंक ब्याज पर ब्याज लगा रहे हैं और इससे आम आदमी को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।


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Yaspal

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