पूरी हुई PM Modi की आखिरी इच्छा... दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बोले संजय राउत
punjabkesari.in Saturday, Feb 08, 2025 - 03:45 PM (IST)
नेशनल डेस्क. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जीत चुकी है। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस को कड़ी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर आम आदमी पार्टी को इतनी बड़ी हार क्यों झेलनी पड़ी? शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
AAP और कांग्रेस साथ होते तो बदल सकते थे नतीजे
संजय राउत का मानना है कि अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा होता, तो आज नतीजे कुछ और हो सकते थे। उन्होंने कहा, "हम पहले से कह रहे थे कि बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा, लेकिन AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। अगर दोनों साथ होते तो बीजेपी पहले घंटे में ही हार जाती।"
दिल्ली में 'महाराष्ट्र पैटर्न' लागू हुआ
संजय राउत ने चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली चुनाव में भी महाराष्ट्र जैसा ही पैटर्न अपनाया गया है। उन्होंने दावा किया कि चुनावी सूची में हेरफेर की गई और चुनाव आयोग ने इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया। राउत ने आगे कहा कि अब यही रणनीति बिहार में भी अपनाई जा सकती है।
पीएम मोदी की आखिरी इच्छा पूरी हुई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए संजय राउत ने कहा, "मोदी जी 10 साल से सत्ता में हैं, लेकिन इससे पहले तक दिल्ली में बीजेपी सरकार नहीं बना पाई थी। हो सकता है कि यह उनकी आखिरी इच्छा रही हो कि उनके रहते दिल्ली में बीजेपी जीत जाए।" हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी पूरा नतीजा आना बाकी है।
कांग्रेस को भी मिली नसीहत
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस बेहद कमजोर साबित हुई और केवल 1 सीट पर आगे चल रही थी। इस पर तंज कसते हुए संजय राउत ने कहा, "खाता तो खोल लिया, बस और क्या चाहिए? कांग्रेस चुनाव में सिर्फ खाता खोलने के लिए उतरी थी।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस हार से सीख लेनी चाहिए और आगे की राजनीति को नए सिरे से सोचना चाहिए।
बिहार होगा अगला निशाना
संजय राउत ने आरोप लगाया कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी को पांच साल तक काम नहीं करने दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल गुजरात से लाकर दिल्ली में बैठा दिया गया और पूरी ताकत उसे सौंप दी गई। अरविंद केजरीवाल को जेल में डाल दिया गया, जिससे पार्टी कमजोर हुई और इसका असर चुनाव में भी दिख रहा है।