इंदिरा गांधी के हर फैसले पर था संजय गांधी का प्रभाव, जानिए विस्तार से

punjabkesari.in Saturday, Dec 14, 2019 - 02:28 PM (IST)

नई दिल्ली: गांधी परिवार के बेटे और कांग्रेस के नेता संजय गांधी (Sanjay Gandhi) का आज 73वीं जयंती है। 14 दिसंबर,1946 को उनका जन्म हुआ। हमेशा से संजय गांधी को इंदिरा गांधी (Indira Gandhi ) के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था।, लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बड़े बेटे राजीव गांधी को उनकी विरासत संभालने के लिए राजनीति में आना पड़ा। 

इंमरजेंसी में भूमिका विवादास्पद
इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी का इंमरजेंसी में भूमिका विवादास्पद रहा। 70 के दशक में संजय गांधी के तेजतर्रार और दृढ़ निश्चित सोच के कारण यूवाओं में इन्हें खुब पंसद किया जाता था। संजय गांधी की प्रसिद्धि उनकी सादगी और भाषण के चलते था। बताया जाता है कि वे प्लेन में जाने समय भी कोल्हापुरी चप्पल पहनते थे, जिसके चलते राजीव गांधी उनको बार-बार टोकते थे। संजय गांधी ने 29 सितंबर 1974 को मेनका गाधी से शादी की। 

 

इंदिरा गांधी के कई अहम फैसलों में रहा हस्तक्षेप
माना जाता है कि इंदिरा गांधी के फैसलों में संजय गांधी का हमेशा हस्तक्षेप रहता था। महज 33 साल की उम्र में उनको वो सत्ता मिली जिसके सामने कैबिनेट भी छोटे पड़ जाते हैं। संजय गाधी कई मौकों पर इंदिरा गांधी के लिए उनकी ताकत बने तो कई बार उनकी मजबूरी भी रहे। कहा जाता है कि देश में इंमरजेंसी थोपने में भी संजय की बड़ी भूमिका थी। 

 

आपातकाल की घोषणा
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की तो देश में चारो ओर हड़कंप मच गया था। इस दिन को देश के इतिहास में सबसे काला दिन माना गया है। जो कि करीब दो साल तक रहा। माना जाता है कि उस दौरान संजय गांधी के हाथों में सत्ता होती तो वे इस इमरजेंसी को 35 साल तक लगा देते। फिर भी इमरजेंसी में जितने फैसले लिए जा रहे थे उन पर संजय गांधी का प्रभाव था। 

 

संजय गांधी का नया जन्म
इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में कांगेस की हार हुई और इसी के साथ संजय गांधी का नया जन्म हुआ। चरण सिंह से प्रधानमंत्री रहते हुए संजय गांधी ने इंदिरा गांधी के इमेज को चमकाना शुरु कर दिया औऱ कई हथकंडे आजमाए। इन सब का नतीजा ये रहा कि 1980 में केंद्र सहित देश के 8 राज्यों में कांग्रेस ने सरकार बनाई। इस समय संजय गांधी अमेठी से सांसद और कांग्रेस के महासचिव बने। 

 

संजय गांधी का वो आखरी पल
नेता के तौर पर उनका जीवन एक ही महिने का रहा, 23 जून 1980 को सुबह के वक्त्त संजय गांधी अपने घर से निकले, जल्दी में मां इंदिरा को बाय तक नहीं कहा था। तीन महिने 10 दिन के बेटे वरुण के साथ पत्नी मेनका घर में ही थे। सफदरजंग एयरपोर्ट पर दिल्ली फ्लाइंग क्लब के चीफ इन्स्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना उनका इतजार कर रहे थे। संजय गांधी ने लापारवाही और जोखिम लेते हुए सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया ले अक्सर ऐसा करते थे। उन्होंने जूतो के बजाए कोल्हापुरी चप्पलों में ही प्लेन उड़ाने लग जाते थे। 

 

पूरा देश सकते में था
सुबह के 7.15 में दोनो उड़ान भर चुके थे।  उड़ान के 10 मिनट वितने के बाद उनका कंट्रोल खोने लगा। फिर कुछ ही समय बाद संजय गांधी के घर से कुछ ही मिनटों की दूरी पर प्लेन पिट्स क्रैश कर गया। 15 मिनट के अंदर ही मैके पर एंबुलेंस और एयरक्राफ्ट पहुंचे। वहां से पेड़ की डालियां काट कर प्लेन के मलबे के बीच से संजय और सुभाष की लाश निकाली गई। कुछ ही देर में मां इंदिरा आरके धवन के साथ वहां पहुंचा और बेटे को देख फूट-फूट कर रोने लगी। उनका बड़ा बेटा राजीव, बहु सेनिया और बच्चे राहुल, प्रियंका के साथ इटली में छुट्टियां मना रहे थे। इस घटना के बाद पूरा देश सकते में था। 


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Edited By

Anil dev

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