''गाइडलाइन का पालन किया गया होता तो बच सकती थी जान'', राजेंद्र नगर हादसे पर बोले शिक्षा मंत्री Dharmendra Pradhan

punjabkesari.in Monday, Jul 29, 2024 - 07:06 PM (IST)

नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी में एक कोचिंग सेंटर में पानी भर जाने के कारण तीन विद्यार्थियों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि कोचिंग केंद्र के नियमन के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए परामर्शों का यदि पालन कर लिया गया होता तो इस प्रकार की दुखद घटना नहीं होती तथा ऐसी घटनाओं में दायित्वों को तय करना ही पड़ेगा।

शिक्षा मंत्री ने यह बात राज्यसभा में प्राधिकारियों की कथित लापरवाही के कारण हाल ही में दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में छात्र, छात्रा की मृत्यु की दुखद घटना के विषय पर अल्पकालिक चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस घटना में लापरवाही हुई है तथा किसी न किसी को तो इसका दायित्व लेना ही पड़ेगा।

गौरतलब है कि राजधानी के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में शनिवार को भारी बारिश के बाद एक कोचिंग सेंटर के ‘बेसमेंट' में पानी भर जाने से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत हो गई। प्रधान ने पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा कि दिल्ली में इस तरह की घटना होने से पूरे देश को चिंता होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा समवर्ती सूची में आती है। उन्होंने कहा कि कोचिंग केंद्रों को लेकर केंद्र सरकार समय समय पर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श भेजती है। इनमें कोचिंग संस्थानों के पंजीकरण, न्यूनतम मानक आवश्यकताएं, बच्चों के लिए सुरक्षा उपाय एवं उनकी निरंतर निगरानी तथा इनका पालन नहीं होने पर दंड की व्यवस्था सहित तमाम विषयों पर परामर्श दिए गए हैं।

कुछ लोग स्वयं को संविधान का ठेकेदार मानते हैं
शिक्षा मंत्री ने देश को बताया कि बिहार, गोवा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक एवं मणिपुर जैसे राज्यों ने अपने प्रदेशों में एक ‘विधि व्यवस्था' भी लागू की है। प्रधान ने कहा कि 16 जनवरी 2024 को केंद्र सरकार ने जो परामर्श भेजा था यदि उसका पालन कर लिया गया होता तो यह दुखद घटना नहीं होती। उन्होंने कहा कि इस घटना के लिए दायित्व तो तय करना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्यों को अपने दायित्व निभाने पड़ेंगे, दायित्वों से भागने से कोई फायदा नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि छद्म बौद्धिक अतिवाद की मानसिकता के कारण कुछ लोग अभी तक मैकालेवाद चलाने के पक्षधर हैं। उन्होंने सरकार की ओर से आश्वासन दिया कि वह संसद के दोनों सदनों में नीट सहित शिक्षा से जुड़े किसी भी विषय पर दोनों सदनों में चर्चा कराने के लिए तैयार हैं।

शिक्षा मंत्री ने दावा किया कि सरकार के पास नीट सहित किसी भी मुद्दे पर छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ द्वारा पांच दिनों तक नीट परीक्षा के बारे में सुनवाई किए जाने का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वयं को संविधान का ठेकेदार मानते हैं, उन्हें इस सुनवाई को सुन लेना चाहिए। शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने परीक्षाओं में कदाचार को रोकने के लिए एक कानून बनाया था जिसे संसद के दोनों सदनों ने अनुमति दी थी। उन्होंने बताया कि 19 मार्च 2010 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एक निर्णय किया गया था।

प्रधान ने कहा कि यह निर्णय प्रौद्योगिकी एवं मेडिकल संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा में कदाचार को रोकने संबंधी विधेयक को लाने की अनुमति देने के बारे में था। उन्होंने किसी भी पार्टी का नाम लिए बिना प्रश्न किया कि उस सरकार की क्या मजबूरी थी या उस पर किस मेडिकल कालेज का दबाव था कि वह विधेयक संसद में पेश किए जाने के बावजूद चार साल तक पारित कराने के लिए नहीं लाया गया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को पारित कराने का काम वर्तमान मोदी सरकार ने किया है।

नीट की चर्चा करते हुए प्रधान ने कहा कि 21 दिसंबर 2010 में संप्रग सरकार के कार्यकाल में मेडिकल क्षेत्र के लिए एकल परीक्षा शुरू करने का नियम कैबिनेट में आया था। उन्होंने पूछा कि नीट का विरोध करने वाले द्रमुक के सदस्यों को बताना चाहिए कि उन्होंने उस समय एकल परीक्षा का विरोध क्यों नहीं किया था? उन्होंने पूर्व में कांग्रेस शासित कई प्रदेश सरकारों के शासन काल में परीक्षा में धांधली के कारण परीक्षाएं रद्द होने की तमाम घटनाओं का हवाला दिया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि आज कोचिंग के बारे में कानून स्पष्ट है तथा राज्यों को इसे लागू करना होगा तथा दायित्व लेना होगा।


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Content Writer

Yaspal

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