''राष्ट्रीय बाल पुरस्कार'' से सम्मानित होगी सानवी सूद, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की ऊंची चोटियों को फतेह कर बनाया विश्व रिकॉर्ड
punjabkesari.in Thursday, Dec 26, 2024 - 01:00 PM (IST)
नेशनल डेस्क. वीरवार यानि आज को राष्ट्रपति भवन में सानवी सूद 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित की जाएगी। इस साल बाल पुरस्कार के लिए देशभर से 17 बच्चों को चुना गया है, जिनमें पंजाब से 10 साल की सानवी सूद अकेली पर्वतारोही हैं। उन्हें यह सम्मान उनके पर्वतारोहण के अद्वितीय रिकॉर्ड के कारण दिया जा रहा है। सानवी ने एवरेस्ट बेस कैंप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और रूस की ऊंची चोटियों को फतेह कर देश का नाम रोशन किया है। यह पुरस्कार राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया जाएगा। सानवी ने पर्वतारोहण की यात्रा 9 जून 2022 में शुरू की थी और तब से उन्होंने लगातार नए माउंटेन चोटी चढ़ने की उपलब्धि हासिल की है।
सानवी का पर्वतारोहण सफर
सानवी सूद ने अपनी पर्वतारोहण यात्रा की शुरुआत बहुत छोटी उम्र में की थी। साढ़े 7 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा फहराया था। वह एवरेस्ट फिल्म से प्रेरित होकर माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंची थीं। सफर के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जैसे रास्ते में बारिश और ऑक्सीजन की कमी, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने हौसले को कमजोर नहीं होने दिया। इसके बाद 23 जुलाई 2022 को उन्होंने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलीमंजारो (5,895 मीटर) पर तिरंगा फहराया। उन्होंने यह चढ़ाई केवल 6 दिन में पूरी की। इसके बाद 27 मई 2023 को ऑस्ट्रेलिया की चोटी माउंट कोजिअस्को (2,228 मीटर) पर तिरंगा फहराया और फिर रूस की सबसे ऊंची चोटी एल्बुस (5,642 मीटर) को भी फतेह किया। सानवी ने रूस की चोटी पर 8 साल की उम्र में रिकॉर्ड स्थापित किया, जब उन्होंने माइनस 25 डिग्री तापमान में यह चढ़ाई की थी। उनकी साहसिक यात्रा में कोई भी मौसम की रुकावट या कठिनाई उन्हें पीछे नहीं हटा पाई।
ज्वालामुखी चोटी पर असफल प्रयास
सानवी ने 3 जुलाई 2024 को ईरान में स्थित एशिया की सबसे ऊंची चोटी दमानंद (5,610 मीटर) को फतेह करने का प्रयास किया, लेकिन खराब मौसम के कारण वह केवल 5,200 मीटर तक ही पहुंच पाईं। इसके बाद उनके पिता दीपक सूद ने उन्हें सुरक्षित लौटने की सलाह दी।
अवॉर्ड साहिबजादों को समर्पित
सानवी सूद ने कहा- भारत सरकार से मिलने वाला अवॉर्ड श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों को समर्पित रहेगा। यह सफर आगे भी जारी रहेगा। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि हार मानने वाला कभी आगे नहीं बढ़ सकता।"