Russia cancer vaccine चिकित्सा जगत की क्रांतिकारी सफलता, जानिए कैसे बढ़ता जा रहा है दुनियाभर में खतरा
punjabkesari.in Thursday, Dec 19, 2024 - 10:17 AM (IST)
नेशनल डेस्क: दुनिया भर में कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, और इसके कारण लाखों लोगों की जान जा रही है। ऐसे में रूस ने हाल ही में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी घोषणा की है। रूस ने दावा किया है कि उसने कैंसर के इलाज के लिए एक नई वैक्सीन तैयार की है, जो 2025 से अपने देश के कैंसर मरीजों को मुफ्त में दी जाएगी। यह कदम कैंसर के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है, लेकिन इसके प्रभाव और उपयोग के बारे में कई अहम सवाल अभी भी उठ रहे हैं।
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वैक्सीन के बारे में जानकारी दी है, जिसमें यह बताया गया है कि यह वैक्सीन कैंसर के उपचार के लिए बनाई गई है, न कि ट्यूमर के बनने को रोकने के लिए। यानि कि यह वैक्सीन कैंसर के इलाज में मदद करेगी, लेकिन इसका उद्देश्य ट्यूमर को उत्पन्न होने से रोकने का नहीं होगा। रूस ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह वैक्सीन केवल कैंसर मरीजों के लिए होगी, न कि सामान्य स्वास्थ्य लोगों के लिए। इसके अलावा, अभी तक यह साफ नहीं है कि यह वैक्सीन किस प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए है, या इसका असर कितना प्रभावी होगा। वैक्सीन का नाम भी अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिससे इसकी पहचान और विशिष्टता को लेकर कई सवाल बने हुए हैं।
कैंसर का खतरा दुनियाभर में बहुत तेजी से बढ़ रहा है, और यह अब मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, हर 6 में से एक व्यक्ति की मौत कैंसर के कारण होती है। भारत में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच भारत में कैंसर के 71 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं। 2023 में अकेले लगभग 15 लाख नए कैंसर मामले दर्ज किए गए थे, और इन पांच वर्षों में कैंसर के कारण करीब 40 लाख लोगों की मौत हुई है। खासकर 2023 में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या 8.28 लाख के आस-पास थी।
भारत में कैंसर के मामलों में वृद्धि का एक बड़ा कारण तंबाकू उत्पादों का सेवन है। तंबाकू चबाने से मुंह और गले के कैंसर के मामले बढ़ते हैं, जबकि सिगरेट या बीड़ी पीने से फेफड़ों का कैंसर बढ़ सकता है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पुरुषों में मुंह और गले के कैंसर के मामले सबसे अधिक होते हैं, उसके बाद लंग कैंसर की बारी आती है। 2022 में भारत में कैंसर के 6.91 लाख मामले सामने आए थे, जिनमें से डेढ़ लाख से ज्यादा मामले मुंह-गले या लंग कैंसर के थे।
महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो अब कैंसर के सबसे आम प्रकारों में से एक बन चुका है। इसके अलावा, सर्वाइकल कैंसर भी महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है। कैंसर के मामलों में वृद्धि का कारण समय पर सही इलाज की कमी भी हो सकती है, क्योंकि कैंसर जितना जल्दी पता चलता है और इलाज शुरू किया जाता है, सर्वाइवल रेट उतना ही ज्यादा होता है। जल्दी इलाज से न केवल जान बचाई जा सकती है, बल्कि यह इलाज भी सस्ता और कम दर्दनाक हो सकता है।
कैंसर के इलाज में सर्जरी, रेडियोथैरेपी और कीमोथैरेपी जैसी विधियों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इन सभी विधियों में अपनी-अपनी चुनौतियां और दुष्प्रभाव होते हैं। ऐसी स्थिति में, कैंसर वैक्सीनेशन एक बड़ा वरदान साबित हो सकता है। अगर रूस की वैक्सीन सचमुच प्रभावी साबित होती है, तो यह कैंसर के इलाज के तरीके में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। इसके अलावा, यह न केवल कैंसर के मरीजों की जीवन प्रत्याशा बढ़ा सकता है, बल्कि यह उपचार की लागत भी घटा सकता है और मरीजों को लंबे समय तक कीमो और रेडियोथैरेपी से बचा सकता है।
रूस की तरह, दुनिया के कई अन्य देशों में भी पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन्स पर काम चल रहा है। पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन्स उन मरीजों के लिए बनाई जाती हैं, जिनके ट्यूमर में खास तरह के RNA होते हैं। इस प्रकार की वैक्सीन्स का उद्देश्य शरीर की इम्यूनिटी को उस खास ट्यूमर से लड़ने के लिए प्रेरित करना होता है। इस साल मई में फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी कैंसर के चार मरीजों पर पर्सनलाइज्ड वैक्सीन्स का परीक्षण किया था और उन्होंने दावा किया था कि वैक्सीनेशन के दो दिन बाद ही मरीजों में मजबूत इम्यूनिटी विकसित हो गई थी।
इससे यह उम्मीद जगी है कि कैंसर के खिलाफ वैक्सीनेशन भविष्य में एक प्रभावी इलाज बन सकता है। हालांकि, रूस की वैक्सीन्स की सफलता के बारे में कुछ कहना अभी जल्दी है। इसके असर और उपयोग की पूरी जानकारी आने में समय लगेगा, लेकिन यह दावा निश्चित रूप से कैंसर के इलाज के लिए एक संभावित दिशा को उजागर करता है। यदि यह वैक्सीन सफल होती है, तो यह चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि होगी, जो कैंसर के इलाज की पुरानी और कठिन पद्धतियों को बदल सकती है।