भारत के लिए चीन से भिड़ चुके रूस के ये प्रधानमंत्री !

punjabkesari.in Sunday, Aug 06, 2017 - 06:02 PM (IST)

मॉस्कोः रूस का मानना हे कि सीमा विवाद के लिए भारत नहीं, बल्कि चीन पूरी तरह से जिम्मेदार है।  सोवियत संघ (रूस) के पूर्व प्रधानमंत्री निकिता ख्रुश्चेव ने साल 1959 में भारत-चीन सीमा विवाद के लिए चीन की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी के चेयरमैन माओ जेडोंग को पूर्णरूप से दोषी ठहराया था। उन्होंने कहा था कि साल 1959 में भारत-चीन सीमा पर विवाद के लिए पूरी तरह माओ जिम्मेदार हैं, जबकि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू निर्दोष हैं।

इस बाबत हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने ख्रुश्चेव और माओ के बीच गरमागरमी माहौल में हुई बातचीत को प्रकाशित किया है। सोवियत नेता सोवियत नेता ख्रुश्चेव ने चीनी नेताओं के साथ बैठक करने के लिए सितंबर 1959 में बीजिंग का दौरा किया था। उनका यह दौरा भारत-चीन सीमा पर सैन्य झड़प और दलाई लामा के चीन छोड़कर भारत में शरण लेने के बाद सामने आया था। ख्रुश्चेव ने चीन की तत्कालीन सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी के चेयरमैन माओ से सख्त लहजे में कहा था कि वह तिब्बत में बिगड़े हालात और भारत-चीन सीमा पर तनाव के लिए जिम्मेदार हैं।

भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर ख्रुश्चेव चीनी नेता माओ से भिड़ तक गए थे। उन्होंने माओ से कहा था कि लंबे समय से आपके भारत के साथ बेहतर रिश्ते रहे हैं।अचानक यह घटना (भारत-चीन सीमा पर सैन्य झड़प) हुई, जिसके चलते नेहरू खुद मुश्किल में हैं। इसके चलते ख्रुश्चेव ने अपने बीजिंग दौरे में भी कटौती कर दी थी। ख्रुश्चेव ने रूसी समाचार एजेंसी ताश के जरिए चीन और भारत को आपसी विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने को भी कहा था। ख्रुश्चेव के इस रुख से चीन को लगने लगा था कि वह अपने पार्टनर माओ से दूर हो रहे हैं।

दोनों नेताओं के बीच बातचीत को 'कोल्ड वार इंटरनेशनल हिस्ट्री प्रोजेक्ट ऑफ विल्सन सेंटर' से हासिल हुआ है। साल 1959 में चीन-भारत के बीच सैन्य झड़प उस वक्त हुई थी, जब ख्रुश्चेव शांति मिशन पर अमेरिका जा रहे थे। ख्रुश्चेव ने माओ से कहा था कि तिब्बत में आपका कब्जा है. लिहाजा दलाई लामा के तिब्बत छोड़ने समेत सभी योजनाओं की खुफिया जानकारी आपको होनी चाहिए।


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