अमेरिका में भगवान हनुमान का अपमान, ट्रंप के नेता ने 90 फुट ऊंची मूर्ति पर की भड़काऊ-शर्मनाक टिप्पणी, छिड़ गया विवाद
punjabkesari.in Tuesday, Sep 23, 2025 - 12:41 PM (IST)

Washington: अमेरिका में हनुमान जी की मूर्ति के अपमान का शर्मनाक मामला सामने आया है। टेक्सास के एक रिपब्लिकन नेता, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़े बताए जा रहे हैं, ने 90 फुट ऊंची हनुमान मूर्ति पर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिससे विवाद खड़ा हो गया। यह मूर्ति स्टैच्यू ऑफ़ यूनियन के नाम से जानी जाती है और श्री अष्टलक्ष्मी मंदिर शुगर लैंड, टेक्सास में स्थित है। यह अमेरिका की सबसे ऊंची हिन्दू मूर्तियों में से एक है।
Why are we allowing a false statue of a false Hindu God to be here in Texas? We are a CHRISTIAN nation!pic.twitter.com/uAPJegLie0
— Alexander Duncan (@AlexDuncanTX) September 20, 2025
अलेक्जेंडर डंकन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मूर्ति के खिलाफ अपनी राय व्यक्त करते हुए इसे “फॉल्स हिन्दू भगवान की मूर्ति” करार दिया और लिखा, “हम एक क्रिश्चियन राष्ट्र हैं।” उन्होंने बाइबल (एक्सोडस 20:3-4) का हवाला देते हुए कहा कि किसी और भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए और कोई मूर्ति नहीं बनानी चाहिए।इस बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया आई। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) ने इसे “एंटी-हिंदू और भड़काऊ” करार दिया और टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी से डंकन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। HAF ने कहा: “क्या आप अपने राज्य के सीनेट उम्मीदवार के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जो खुलेआम आपके खुद के गैर-भेदभाव दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहा है और हिंदू धर्म के प्रति घृणा दिखा रहा है?”
सोशल मीडिया पर भी लोग नाराज़गी जताने लगे। एक उपयोगकर्ता, जॉर्डन क्रॉडर ने लिखा: “आप हिंदू नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं कि वह गलत है। वेद लगभग 2000 साल पहले लिखे गए थे और उनका ईसाई धर्म पर असर पड़ा है। इसे सम्मान दें।” स्टैच्यू ऑफ़ यूनियन, जिसे 2024 में उद्घाटित किया गया, श्री चिन्मयी जीयर स्वामीजी द्वारा स्थापित किया गया था। यह सिर्फ भक्ति का प्रतीक नहीं बल्कि एकता, सद्भाव और समावेशिता का प्रतीक भी है। यह अमेरिका की तीसरी सबसे ऊँची मूर्ति है और भारतीय-अमेरिकी समुदाय और अंतरधार्मिक समूहों में रुचि का केंद्र बनी हुई है।इस विवाद ने अमेरिका में धार्मिक प्रतीकों और सांस्कृतिक संवेदनशीलता पर नई बहस शुरू कर दी है और राजनीतिक हलकों में धार्मिक भेदभाव को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।