राजस्थान सरकार का फैसला: 45 साल पुराने ख़ादिम होटल का नाम हुआ "अजयमेरू"
punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2024 - 12:44 PM (IST)
नेशनल डेस्क। राजस्थान सरकार ने अजमेर के प्रसिद्ध खादिम होटल का नाम बदलने का फैसला किया है। अब यह होटल "अजयमेरू" के नाम से जाना जाएगा। यह निर्णय बीजेपी सरकार द्वारा लिया गया है, जिसे लंबे समय से इस होटल का नाम बदलने की मांग थी।
क्या था मामला?
खादिम होटल का नाम 45 साल पहले अजमेर में रखा गया था, और इसे सूफी संत ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती से जुड़ा हुआ माना जाता था। "खादिम" शब्द का अर्थ सेवक होता है, जो ख़्वाजा साहब के लिए श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक था लेकिन अब इसे बदलकर "अजयमेरू" नाम रखा गया है, जो अजमेर के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
क्यों रखा गया नया नाम?
अजमेर उत्तर से विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस होटल का नाम बदलने की मांग की थी और उन्होंने सुझाव दिया था कि इसे "अजयमेरू" नाम दिया जाए। "अजयमेरू" का मतलब होता है "वो दुर्ग पर्वत जो कभी नहीं जीता जा सका"। इसके अलावा, यह नाम अजयराज चौहान के नाम से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने सातवीं सदी में इस शहर को बसाया था।
वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि अजमेर का असली नाम अजयमेरू था, जो मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से पहले इस शहर का नाम था। उनका यह भी मानना है कि पहले इस शहर का नाम "अजयमेरू" था, जिसे बाद में बदलकर अजमेर कर दिया गया।
प्रशासन की ओर से क्या कहा गया?
सोमवार को राजस्थान पर्यटन विभाग (आरटीडीसी) की मैनेजिंग डायरेक्टर सुषमा अरोड़ा ने खादिम होटल का नाम बदलने के आदेश दिए। जिला प्रशासन ने इस आदेश के बाद "अजयमेरू" नाम की घोषणा की। प्रशासन का कहना है कि नया नाम अजमेर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव को सही तरीके से प्रदर्शित करता है।
क्या है नाम बदलने की पृष्ठभूमि?
यह फैसला तब लिया गया है जब बीजेपी सरकार ने पहले भी कई स्थानों, सड़कों, मुहल्लों और चौक-चौराहों के नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू की थी। हाल ही में, जयपुर में बीजेपी सरकार ने कई मुस्लिम नामों को बदलकर उन्हें हिन्दू नाम दिए थे। इसके अलावा बीते कुछ महीनों में देश के विभिन्न शहरों के नाम बदलने का सिलसिला भी जारी है। दो महीने पहले ही, भारत सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर "श्री विजयपुरम" कर दिया था।
बता दें कि राजस्थान सरकार का यह कदम राज्य के इतिहास और संस्कृति के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाता है। हालांकि, यह कदम कुछ विवादों को जन्म दे सकता है क्योंकि कुछ लोगों को पुराने नामों से जुड़ी पहचान का महत्व है। अब देखना यह होगा कि इस फैसले को लेकर समाज के विभिन्न हिस्सों से किस तरह की प्रतिक्रिया आती है।