रूप चतुर्दशी: अप्सराओं जैसा सौंदर्य चाहती हैं तो आज ये करना न भूलें

punjabkesari.in Saturday, Oct 26, 2019 - 06:19 AM (IST)

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दीपावली पर्व से ठीक एक दिन पूर्व कार्तिक चतुर्दशी को कालदेवता ‘यमराज’ के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए दान की प्रथा चली आ रही है। महिलाएं इस दिन पूजा स्थल पर पीठ कर दीपक जलाने के बाद सिर धोती हैं। तत्पश्चात् नए वस्त्र व आभूषण धारण करती हैं। स्वयं को सुसज्जित कर लक्ष्मी का रूप समझ सदैव सौंदर्य की कामना करती हैं। कहीं-कहीं सूर्यास्त के पश्चात स्त्रियां आटे का चार कोनों वाला एक बड़ा दीपक बनाती हैं और उसे घर के द्वार के बाहर जलाकर यम देवता की पूजा करती हैं तथा यम देवता से अपने परिवार के लोगों के स्वस्थ, निरोगी और बलवान बनने की प्रार्थना करती हैं।

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इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल उबटन लगाकर भली-भांति स्नान करना चाहिए। इस दिन के स्नान का विशेष महात्म्य है। जो लोग इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान नहीं करते वर्ष भर उनके शुभ कार्यों का नाश होता है। वर्ष भर दुख में बीतता है। इस दिन स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। इस दिन संध्या के समय दीपक भी जलाए जाते हैं। दीपक जलाने की प्रक्रिया त्रयोदशी से अमावस तक चलती है। त्रयोदशी वाले दिन यमराज के लिए एक दीपक चौदश के दिन भी एक दीपक तथा अमावस्या वाले दिन बड़ी दीपावली का पूजन होता है। इन तीनों दिनों में दीपक जलाने का कारण यह बताया जाता है कि इन तीनों दिनों में भगवान वामन ने मात्र तीन पगों में सम्पूर्ण पृथ्वी तथा बलि के शरीर को नाप लिया था। त्रयोदशी, चतुर्दशी तथा अमावस्या के दिन इसलिए यम के लिए दीपक जलाकर लक्ष्मी पूजन सहित दीपावली मनाते हैं जिससे उन्हें यम की यातना न सहनी पड़े तथा लक्ष्मी जी उनके सारे काज सवार दें।  

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इस दिन क्या न करें
अपने मित्र रिश्तेदारों को तोहफे में कटलरी, पटाखे, फुलझडिय़ां या चमड़े के आइटम्स न दें पर यदि इनमें से कुछ देना ही चाहते हैं तो साथ में मिठाई जरूर दें।

इस दिन जुआ न खेलें।

अल्कोहल और नानवेज से परहेज करें।

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Niyati Bhandari

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