बार-बार खिल्ली न उड़ाएं भारतीयों की,वरना ...... .

punjabkesari.in Monday, Apr 25, 2016 - 04:52 PM (IST)

यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि डोनाल्ड ट्रंप के बाद अब अमरीका के मेन प्रांत के रिपब्लिकन गर्वनर पॉल लीपेज ने अमरीका में कार्यरत भारतीयों की अंग्रेजी पर आपत्ति जताई है। उनका कटाक्ष है कि समझने के मामले में भारतीय श्रमिक सबसे ज्यादा मुश्किल और सबसे खराब हैं। उनका आरोप है स्थानीय रेस्त्राओं में विदेशी श्रमिकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। किसी भारतीय से बात करने के लिए दुभाषिए की जरूरत पड़ती है। वे इससे इंकार नहीं करते कि भारतीय प्यारे लोग होते हैं। 

इससे पहले, राष्ट्रपति पद की रिपब्लिकन उम्मीदवारी के प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप भारतीय कॉल सेंटर की खिल्ली उड़ा चुके है। बहरहाल, ट्रंप ने भारत को एक महान जगह बताया था। भारत यदि महान माना जाता है तो अपनी वह इमारतों या ऐतिहासिक स्थलों से नहीं,बल्कि अपनी परंपराओं,सभ्यता और लोगों की वजह से। विश्व में भारत का सम्मान किया जाता है तो उसके नागरिकों की उपलब्धियों और सफलता के कारण। विश्व में अंग्रेजी भाषा को हर देश के लोगे अपने-अपने लहजे से बोलते हैं। हो सकता है कि अमरीकी कुछ शब्दों को इतनी तेजी से बोल जाते हों कि वहां कुछ भारतीयों को समझने में असुविधा होती हो। यह भी संभव है कि कुछ भारतीयों की अग्रेजी में उनकी स्थानीय भाषा का प्रभाव हो और वे अपने लहजे में बात करते हों। 

इसमें उनकी खिल्ली उड़ाने की कोई बात नहीं हैं। थोड़े अभ्यास के बाद इस कमी को  ठीक किया जा सकता है। यदि उन्हें नौकरी पर रखने वाले उनका समय-समय पर मार्गदर्शन और मोटिवेशन करते रहें तो वे इसमें सुधार कर सकते हें। सबसे बड़ी बात यह है कि विदेश में काम करने वाले भारतीयों की मेहनत और आचरण पर किसी ने अंगुली नहीं उठाई है। वे शिक्षित हैं, इसलिए उन्हें वहां नौकरी मिली हुई है। अमरीका को यह नहीं भूलना चाहिए कि उसे भारत से सस्ते श्रमिक मिलते हैं। जो वहां से कमाते हैं तो उसे खर्च भी करते हैं। इससे अमरीकी अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचता है।

लीपेज से पहले अमरीका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार बनने के शीर्ष दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में एक कॉल सेंटर प्रतिनिधि के अंग्रेजी में बात करने के लहजे की नकल उतारते हुए उसका मजाक उड़ाया था। वे भी भारत को एक महान देश बता चुके हैं। ट्रंप ने फरमाया था कि वे अपने देश के नेताओं की मूर्खता से नाराज हैं। चीन, जापान,वियतनाम और भारत जैसे देशों से नाराज नहीं हैं। उनकी अपने नेताओं से नाराजगी क्यों हैंं, इसका कारण वही जाने। उनका यह इशारा अमरीकी लोगों की बजाय एशियाई लोगों को रोजगार देने पर था।

अमरीकी पत्रिका टाइम ने वर्ष 2010 में भारतीयों की खिल्ली उड़ाने वाला लेख प्रकाशित किया था। बाद में इस मामले के तूल पकड़ने पर उसे खेद जताना पड़ा था। दुनिया भर में पढ़ी जाने वाली प्रतिष्ठित मैगजीन टाइम में नियमित कॉलम लिखने वाले जोएल स्टेन के एक लेख को लेकर अमेरिका, खास तौर पर न्यूजर्सी में रहने वाले भारतीयों में गुस्सा था। उन्होंने टाइम से तत्काल माफ़ी मांगने के लिए कहा था। टाइम ने माफ़ीनामे में कहा था कि जोएल स्टेन के 5 जुलाई को छपे ह्यूमर कॉलम ''माई ओन प्राइवेट इंडिया'' से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो हम इसके लिए दिल से खेद जताते हैं। स्टेन ने अपने लेख में बड़ी संख्या में भारतीयों के अमरीका में बसने पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था उनके शहर एडीसन में इतने ज्यादा भारतीय आ गए हैं कि यह उन्हें अपना शहर लगता ही नहीं।

डोनाल्ड ट्रंप को नहीं भूलना चाहिए कि अमरीका में लाखों भारतीय रहते हैं। इनमें से अधिकतर उन्हें अमरीका का अगला राष्ट्रपति देख्ना चाहते हैं। यदि इन भारतीयों का मन आहत हो गया तो ट्रंप की जीत पर असर पड़ते देर नहीं लगने वाली। दूसरा, अमरीका में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के डॉक्टरों,आईटी विशेषज्ञ,वैज्ञानिकों और अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लोग अपना अभूतपूर्व योगदान दे रहे हैं। यदि वे स्वदेश लौट आएं तो अमरीका की बौद्धिक संपदा कितनी बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News