गर्मी, सूखा, बाढ़...और महंगाई! जलवायु परिवर्तन ने कैसे बढ़ाई खाद्य वस्तुओं की कीमतें, रिपोर्ट ने खोली पोल

punjabkesari.in Saturday, Jul 26, 2025 - 03:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अगर आपने हाल के महीनों में सब्ज़ियों, प्याज़, आलू या चाय-कॉफ़ी की कीमतों में अजीबोगरीब उछाल देखा है, तो यह केवल मंडी की मांग और आपूर्ति का मामला नहीं है। यह आपकी थाली पर जलवायु संकट की सीधी मार है। एक नई अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च ने खुलासा किया है कि भारत समेत दुनिया भर के 18 देशों में जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम की चरम घटनाओं ने खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी की है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी हुई है, जब 27-29 जुलाई 2025 को अदीस अबाबा (इथियोपिया) में दूसरा संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन होने वाला है, जहाँ विश्व के नेता वैश्विक खाद्य प्रणाली के लिए खतरों पर चर्चा करेंगे।

जलवायु परिवर्तन से बढ़ी महंगाई
Barcelona Supercomputing Centre द्वारा वैज्ञानिक मैक्सिमिलियन कोट्ज़ की अगुवाई में किए गए इस अध्ययन में भारत, अमेरिका, यूके, इथियोपिया, ब्राज़ील, स्पेन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के आंकड़े शामिल हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2022 से 2024 के बीच दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सूखा, हीटवेव और अत्यधिक वर्षा जैसी घटनाओं ने फसलों को बर्बाद किया, जिससे खाद्य सामग्री के दाम बढ़े।

भारत पर सीधा असर: आलू-प्याज ने बिगाड़ा बजट
भारत में इस रिपोर्ट का असर साफ देखा जा सकता है:
आलू की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि: पिछले पांच सालों में आलू की खुदरा कीमतों में 158% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
हीटवेव का असर: रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मई 2024 की हीटवेव के बाद प्याज और आलू की कीमतों में 80% तक उछाल आया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह हीटवेव सामान्य से कम से कम 1.5°C अधिक गर्म थी और इसे एक "असामान्य और गंभीर घटना" माना गया है।
भारत जैसे देश में, जहाँ प्याज और आलू रोजमर्रा की थाली के आधार हैं, इस तरह की बढ़ोतरी आम लोगों की रसोई पर सीधा असर डालती है।


दुनिया भर के देशों में दिखा प्रभाव
यह संकट केवल भारत तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट में कई देशों के चौंकाने वाले आँकड़े सामने आए हैं:
➤ यूके: जनवरी से फरवरी 2024 के बीच आलू की कीमतें 22% बढ़ीं, जिसका कारण सर्दियों में हुई ज़बरदस्त बारिश थी, जिसे जलवायु परिवर्तन से जुड़ा बताया गया।
➤ अमेरिका (कैलिफोर्निया और एरिज़ोना): 2022 की गर्मियों में सूखे और पानी की किल्लत के चलते नवंबर 2022 में सब्जियों की कीमतों में 80% की बढ़ोतरी हुई।
➤ इथियोपिया: 2022 के ऐतिहासिक सूखे के बाद मार्च 2023 में खाद्य वस्तुओं के दाम 40% अधिक थे।
➤ स्पेन और इटली: 2022-2023 के सूखे के बाद, जैतून के तेल की कीमतें EU में 50% तक बढ़ गईं।
➤ आइवरी कोस्ट और घाना: 2024 की शुरुआत में हीटवेव के बाद कोको की वैश्विक कीमतें 280% तक बढ़ गईं।
➤ ब्राज़ील और वियतनाम: सूखे और रिकॉर्ड हीटवेव के चलते कॉफी की कीमतें क्रमशः 55% और 100% तक बढ़ीं।
➤ जापान: अगस्त 2024 की हीटवेव के बाद चावल की कीमतें 48% बढ़ीं।
➤ दक्षिण कोरिया: अगस्त 2024 की गर्मी के बाद गोभी की कीमतें 70% तक बढ़ गईं।
➤ पाकिस्तान: अगस्त 2022 की बाढ़ के बाद ग्रामीण इलाकों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 50% की बढ़ोतरी हुई।
➤ ऑस्ट्रेलिया: 2022 में बाढ़ के बाद लेट्यूस की कीमतें 300% तक बढ़ गईं।

गरीबों पर सबसे बड़ा असर
Food Foundation के मुताबिक, दुनिया भर में पोषण से भरपूर खाना कम पौष्टिक खाने के मुकाबले प्रति कैलोरी दोगुना महंगा है। ऐसे में जब महंगाई बढ़ती है, तो कम-आय वाले परिवार फल-सब्ज़ी छोड़कर सस्ता, लेकिन पोषणहीन खाना अपनाने लगते हैं। इससे बच्चों में कुपोषण और बड़ों में दिल की बीमारियों, डायबिटीज़ और कैंसर जैसे खतरे बढ़ते हैं। रिपोर्ट यह भी कहती है कि खाद्य असुरक्षा और खराब डाइट का मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है।

भारत और दक्षिण एशिया के लिए सबक
भारत जैसे देश में, जहाँ आबादी का बड़ा हिस्सा पहले से ही पोषण की कमी और स्वास्थ्य असमानताओं से जूझ रहा है, खाद्य कीमतों में ऐसी उथल-पुथल का मतलब है दोहरी मार: एक तरफ जलवायु संकट और दूसरी तरफ स्वास्थ्य संकट। रिपोर्ट के लीड लेखक मैक्सिमिलियन कोट्ज़ ने चेताते हुए कहा, "जब तक हम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पूरी तरह बंद नहीं करते, ये चरम मौसम और बढ़ेंगे। और इनका असर सीधे आपकी थाली पर पड़ेगा।"


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Content Editor

Mansa Devi

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